दूसरे के घरों में रोटियां बनाकर मां ने बेटे को पढ़ाया, आज 22 साल की उम्र में बन गया IPS

कहते हैं कि व्यक्ति के अंदर अगर कुछ कर दिखाने का जुनून हो तो कोई भी मुश्किलें उसे रोक नहीं सकती हैं। जी हां आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको सीख जरूर मिलेगी। इतना ही नहीं आपको बता दें कि हम आपको एक ऐसे कामयाब बेटे की कहानी के बारे में बताएंगे जिसके मां ने उसे कामयाब बनाने के लिए बहुत कुर्बानियां दी। जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं वो एक सामान्य लड़का है, जिन्होने अपने माता पिता का नाम रौशन किया। दरअसल उनकी मां उन्हें पढ़ाने के लिए दूसरों के झार में जाकर रोटियां बनाई और पिता ने ठेला लगाया। इतना ही नहीं जब उनका UPSC का एक्जाम था उससे पहले एक्सीडेंट हुआ और कई दिन अस्पताल में गुजरे लेकिन उसने हार नहीं मानी और वो आज देश का सबसे युवा IPS है।

जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं उनका नाम है साफिन हसन की। साफिन ने सबसे पहले तो UPSC का एग्जाम पूरी लग्न व मेहनक के साथ पास किया, जिसके बाद अस्पताल से आकर आत्मविश्वास से इंटरव्यू का सामना किया। इनकी कहानी सुनकर हर युवा को प्रेरणा मिलेगी, जी हां क्योंकि इस शख्स की कहानी किसी की भी अंधेरी जिंदगी में हौसले की रोशनी जगा सकती है। टूटी हुई हिम्मत को इस कदर जोश से भर सकती है कि लगेगा कि वाकई ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं।

आपको बता दें कि चेहरे पर हमेशा ही मुस्कान रखने वाले साफिन की कहानी ऐसी है कि सुनकर हर किसी का दिल पीघल जाएगा। साफिन सूरत के एक गांव के रहने वाले हैं। डॉयमंड इंडस्ट्रीज में मंदी के चलते उनके माता-पिता को नौकरियां छोड़नी पड़ीं। फिर मां घरों में रोटियां बेलने का कांट्रैक्ट लेने लगीं। पिता इलैक्ट्रिशियन थे। साथ में जाड़ों में चाय और अंडे का ठेला लगाते थे।

आपको बता दें कि चेहरे पर हमेशा ही मुस्कान रखने वाले साफिन की कहानी ऐसी है कि सुनकर हर किसी का दिल पीघल जाएगा। साफिन सूरत के एक गांव के रहने वाले हैं। डॉयमंड इंडस्ट्रीज में मंदी के चलते उनके माता-पिता को नौकरियां छोड़नी पड़ीं। फिर मां घरों में रोटियां बेलने का कांट्रैक्ट लेने लगीं। पिता इलैक्ट्रिशियन थे। साथ में जाड़ों में चाय और अंडे का ठेला लगाते थे।

आपको बता दें कि साफिन ने लोकप्रिय प्रोग्राम जिंदगी विद साफिन में बताया कि जब वो छोटे थे तो उन्होंने मां के साथ मिलकर खुद अपना घऱ बनाया। इतना ही नहीं वो लोग खुद दिनभर के काम के बाद इसके लिए मजदूरी करते थे, क्योंकि उन लोगों के पास मजदूर को देने के लिए पैसे नहीं थे। मां ने कुछ कर्ज भी लिया था। साफिन बताते हैं कि उन्होंने जब घर में संघर्ष की स्थिति देखी जो खुद को पूरी तरह पढाई पर फोकस कर दिया।

साफिन के पिता मुस्तफा दिन में इलैक्ट्रीशियन का काम करते थे और रात में ठेला लगाते थे जब यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली आए तो गांव के ही एक मुस्लिम दंपति ने खर्च उठाया। जिन्हें यकीन था कि ये लड़का जो ठान लेता है वो करके दिखाता है। साफिन की मां नसीमबेन रोटियां बनाने का कांट्रैक्ट लेती थीं और घंटों बैठकर इन्हें बनाया करती थीं। यूपीएससी के रिजल्ट में उन्हें 175वीं पोजिशन मिली, जिससे उनका आईपीएस में जाना तय हो गया।

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