अष्टमी या नवमी किस दिन करें कन्या पूजन, जानें शुभ मुहूर्त व सही पूजा विधि

नवरात्र का 9 दिन अपने आप में बेहद ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, हर दिन की अपने एक अलग ही खासियत होती है, इस 9 दिन के त्योहार में हर कोई माता को प्रसन्न करने के तमाम प्रयास करता है, इतना ही नहीं इन नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा का विधान है। वो लोग लोग नवदुर्गा की विशेष कृपा चाहते हैं, वे उपवास रखते हैं। इसके साथ ही साथ व्रत के आठवें दिन यानि की अष्टमी तिथि को नौ कन्याओं की पूजा भी करते हैं। माता का आर्शीवाद पाने के लिए यह बेहद ही सरल तरीका है। यह पूजा भक्त नौ दिन तक उपवास रखकर मां दुर्गा का पूजन करने वाले भक्त अष्टमी अथवा नवमी को अपने व्रत का समापन करते हैं। माना जाता है कि आहुति, उपहार, भेंट, पूजा-पाठ और दान से मां दुर्गा इतनी खुश होतीं हैं। इतना ही नहीं अपने भक्तों को सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं।

शास्त्रों की मानें तो नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को छोटी कन्याओं को मां नवदुर्गा का रूप मान कर उनका स्वागत सत्कार किया जाता है। उन्हें भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि जो लोग नवरात्रि के पूरे नौ दिन तक उपवास रहते हैं। कन्या पूजन के बाद ही उनका व्रत पूरा माना जाता है। इतना ही नहीं कन्या पूजन के बाद ही लोग मां का प्रसाद ग्रहण कर नौ दें के व्रत का पारण करते हैं। कन्या पूजन का भी एक शुभ मुहूर्त होता है जिसमें कन्या खिलानी चाहिए। अगर आप सही मुहूर्त में कन्या नहीं पूजते हैं तो व्रत का फल कम हो जाता है।

शुभ मुहूर्त

कल यानि की 6 अक्टूबर को अष्‍टमी का पर्व मनाया जाएगा। कल के दिन ही सुबह 9:51 बजे के बाद से कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त की शुरूआत हो जाएगी, और 6 अक्‍टूबर की सुबह 10 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा। यानि की जो लोग अपने घर में कन्या पूजन की सोच रहे हैं तो वो रविवार की सुबह कन्या पूजा करना शुभ रहेगा।

कन्या पूजन की विधि

सबसे पहले तो यह जान लें कि कन्या पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीन कन्याओं की पूजा करने से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्याओं की पूजा से राज्यपद, पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या, छ: कन्याओं की पूजा द्वारा छ: प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इसके अलावा सात कन्याओं की पूजा द्वारा राज्य की, आठ कन्याओं की पूजा करने से धन-संपदा तथा नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

वहीं लेकिन इस दौरान ये जरूर ध्यान रखना चाहिए कि इन कन्याओं की उम्र दो साल से लेकर 10 साल तक होनी चाहिए। वहीं इसके अलावा छोटे लड़कों को बटुक भैरव के रुप में पूजा जाता है।

ऐसे करें पूजन

कन्या पूजन के दौरान आपको सबसे पहले कन्‍याओं के पैर धोने होते हैं और उसके बाद उन्हें बैठने के लिए आसन देने होते हैं और फिर उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं। कलाई पर मौली बांधें। नवदुर्गा के चित्रपट या प्रतिमा को दीपक दिखाकर आरती उतारें। मां को पूरी, चना और हलवा का भोग लगाएं। साथ में यथाशक्ति भेंट और उपहार भी दें। अंत में कन्‍याओं के पैर छूकर उन्‍हें विदा करें। उनसे आशीर्वाद के रूप में थपकी अवश्य लें। ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं।

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