आज के वर्तमान समय में लड़का और लडकी दोनों ही एक दुसरे से कम नही है. जो लोग ये सोचते थे लडकियाँ केवल बोझ होती है उनके मुह पर करारा तमाचा मार रही है देश भर में काम करने वाली लडकियाँ. आज के समय में लडकियाँ लडको से हर मामले में 4 कदम आगे है. सरकारी पद से लेकर प्राइवेट सेक्टरो में लडकियाँ लडको से आगे निकल रही है. सोशल मीडिया पर एक दिव्यांग बेटी की चर्चा जोरो शोरो से हो रही है. मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव सोहगपुर के किसान की दिव्यांग बेटी डिप्टी कमिश्नर बन गयी है. 2017 में उन्हें पोस्टिंग मिली है. उन्होंने ये साबित कर दिया है कि वे दिव्यांग होकर भी किसी से कम नही है.
सोहगपुर के किसान देवीप्रसाद के 3 बच्चे है जिनमे से 2 लडकियाँ है और एक लड़का है. छोटी बेटी रजनी जोकि दिव्यांग है और उसे बचपन से ही लाठी का सहारा लेकर चलना पड़ता था. लोग भी रजनी को लेकर तरह तरह की बाते करते थे कि ये बड़े होकर क्या बनेगी. इससे रजनी के मन में पहले तो नकारात्मक बाते आनी शुरू हो गयी थी लेकिन देवीप्रसाद ने अपनी बेटी को कमजोर नही होने दिया और वे उसके मन में ऐसी बाते आने की जगह उसे आगे बढने की प्रेरणा देते रहे.
देवीप्रसाद खुद ग्रेजुएट थे इसलिए वे पढाई के महत्व को अच्छी तरह समझते थे. उन्होंने अपने तीनो बच्चो की पढाई में कोई कमी नही छोड़ी. रजनी की पढाई को लेकर वे बहुत ज्यादा सोचते थे. थोड़ी बड़ी होने पर रजनी अपने करियर को लेकर सोचने लगी और उसने प्रशासनिक कार्य में जाने की अपनी इच्छा पिता से जाहिर की. देवीप्रसाद ये बात सुनकर बहुत खुश हुए और उन्होंने ये ठान लिया कि वे अपनी बेटी को उसकी मंजिल तक पहुंचा कर ही रहेंगे. 12 वी की पढाई करने के बाद रजनी ने संविदा शिक्षक की परीक्षा दी जिसके बाद गाँव के सरकारी स्कुल से ही उसका चयन हुआ.
रजनी बच्चो को पढाती भी थी और साथ ही अपनी पढाई भी पूरी करने लगी. इसके बाद जीजा के बढ़ावा देने से साल 2012 MPPSC की परीक्षा देकर उसमे सफलता हासिल की. लेकिन उनकी किस्मत तो देखो किसी ने पेपर लीक का मुद्दा उठा दिया और इन्टरव्यू रद्द हो गये. इससे पहले रजनी टूटती उसके पिता ने बेटी की हिम्मत बढानी शुरू कर दी और आखिरकार किस्मत ने भी अपना रुख फिर से बदला . साल 2016 में खबर आई कि 2012 में जिन लोगो ने परीक्षा पास की थी और उनके इन्टरव्यू रोक लिए गये थे वे अब अपने इन्टरव्यू देंगे.
इसके बाद रजनी ने अच्छे अंक हासिल करते हुए उसने डिप्टी कलेक्टर की रैंक हासिल की. देवी प्रसाद को अपनी बेटी पर गर्व है. रजनी ने आज ये साबित कर दिया है कि भले ही कोई व्यक्ति दिव्यांग हो लेकिन अगर उसके साथ उसका परिवार खड़ा हो तो वह जिन्दगी में हर चीज हासिल कर सकता है. बचपन में लोगो की बाते सुनकर रजनी ने भी हार मान ली थी उसे लगने लगा था अब वह जिन्दगी में आगे नही बढ़ सकती है लेकिन उसके पिता ने उसकी हिम्मत को टूटने नही दिया और उसका साथ दिया.