बचपन में माँ बाप ने स्कुल नही भेजा तो 85 साल की उम्र में कर रही अम्मा पढाई पूरी

इस दुनिया में हर व्यक्ति का पढ़ा लिखा होना बेहद जरुरी है. पढ़ी लिखाई को सबसे ज्यादा जरुरी माना जाता है. पढ़ा लिखा व्यक्ति आसानी से अच्छी नौकरी हासिल कर सकता है. आज के समय में पढाई सबसे ज्यादा मांगी जाती है. लेकिन हर व्यक्ति अपनी पढाई पूरी कर सके ऐसा सबकी किस्मत में नही होता है. आज हम आपको एक ऐसी बूढी अम्मा के बारे में बताने जा रहे है जिन्हें पढने लिखने का बहुत शौक था लकिन बचपन में घरवालो ने पढने नही दिया. अम्मा ने हिम्मत नही हारी और आज 85 साल की उम्र में अपनी पढाई पूरी की है. पढाई के लिए उम्र कोई मायने नही रखती है इसके लिए तो इंसान के अंदर एक जज्बा होना चाहिए कि वह अपने सपने को पूरा करे.

महिला का नाम केम्बी है जिसने पढाई करके लिटरेसी के टेस्ट को पास किया है. महिला केरल के वायनाड की रहने वाली है. महिला ने जो परीक्षा दी है उसमे 3000 विद्यार्थी थे. जिसमे केम्बी की उम्र सबसे ज्यादा थी. महिला को बचपन से पड़ने लिखने का बहुत ज्यादा मन था. परन्तु केम्बी के माता पिता नही चाहते थे कि वह स्कुल जाकर पढाई करे इसलिए उन्होंने उसे बचपन में स्कुल न भेजकर घर में रखना ज्यादा सही समझा. केम्बी पढना चाहती थी लेकिन उनकी पढाई के पैसे कौन देता इसलिए उन्होंने स्कुल की पढाई के लिए खुद मजदूरी करना शुरू कर दिया.

महिला अपनी मजदूरी करती और शाम को जाकर पढाई करती. उनका बस एक ही सपना था जैसे कैसे करके अपनी पढाई को पूरा करे. मजदूरी करते हुए भी उन्होंने अपने सपने को कम नही होने दिया. पढाई के प्रति उनकी रूचि बढती ही चली गयी. जिस समय वे मजदूरी कर रही थी तो उनकी मुलाक़ात लिटरेसी प्रचारक क्लरम्मा विवि और इंस्ट्रक्टर सुनीता पी सी हुई. उन्होंने महिला के अंदर पढाई की रूचि को जब देखा तो काफी प्रभावित हुई. उन्होंने महिला को पढाई पर और ज्यादा ध्यान देने को कहा. जब Scheduled Tribe & Scheduled Caste Development Department की परीक्षा निकली तो कैम्बी ने भी इसमें एडमिशन ले लिया. उन्होंने परीक्षा की तैयारी की और उसमे पास हो गयी. 

एक इन्टरव्यू के दौरान महिला ने बताया कि आज उसे जो सफलता हासिल हुई है उसका पूरा श्रेय उसके दोनों बेटो को जाता है. महिला के दोनों बेटे भी पढ़े लिखे है और अपनी माँ की पढाई पूरी करवाने के लिए दोनों मजदूरी करते है. महिला ने बताया कि दिनभर में वो जो भी पढकर आती रात में दोनों बेटे उन्हें रविजन करवाते थे. महिला अपने दोनों बेटों से बहुत ज्यादा खुश है. ऐसे बच्चे बहुत किस्मत वाले माँ बाप को ही मिलते है जोकि खुद मजदूरी करके अपनी माँ का सपना पूरा करे. वरना आजकल तो हालात कुछ ऐसे है कि माँ बाप अपने बच्चो को पढाते लिखाते है और वही बच्चे नौकरी लगने के बाद अपने माँ बाप को ताना देकर घर से निकाल देते है.

कैम्बी ने अपने पढाई के सपने को पूरा किया और इसमें उनका साथ उनके दोनों बेटो ने दिया है. कैम्बी ने उन लोगो को एक सीख दी है जिन्हें लगता है कि पढाई लिखाई की कोई उम्र होती है.

 

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