नवरात्र का समय चल रहा है और आज नवरात्र का दूसरा दिन है, सभी भक्त माता के आर्शीवाद के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, लेकिन इसके लिए कई लोग पहले से ही तैयारियां शुरू भी कर देती है, कहा जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है ताकि माता रानी की विशेष कृपा मिल सके। धार्मिक शास्त्रों के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में देवी को प्रसन्न करने के उपायों के साथ उनके पूजन की सही विधि विस्तार पूर्वक बताई गई है। इसके साथ ही इसमें कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिनका देवी पूजन में प्रयोग करना अति आवश्यक होता है। इन्हीं नियमों में आता है कि माता रानी के 16 श्रृंगार करना। यही वजह है कि नवरात्र में माता रानी के 16 श्रृंगार का भी किया जाता है।
तो आइए जानते हैं कि नवरात्र में किए जाने वाले इस 16 श्रृंगार का आखिर महत्व क्या है
कहा जाता है माता रानी जिस पर प्रसन्न हो जाती हैं उस जातक की झोली सदा के लिए खुशियों से भर जाती हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म के लोगों के लिए नवरात्रि का अधिक महत्व है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो मां दुर्गा की पूजा हमेशा ही नियमों के साथ की जाती है लेकिन नवरात्रि में कुछ विशेष बातों का खास ख्याल रखा जाता है। मां का हर भक्त नवरात्रि के दौरान उनकी भक्ति कर उन्हें खुश करने की कोशिश करता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार का भी बहुत महत्व है।
सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि इन 16 श्रृंगार में माता को लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, चोटी, मंगल सूत्र या गले के लिए माला, पायल, नेलपॉलिश, लाली, कान की बाली और चोटी में लगाने के लिए रिबन चढ़ाया जाता है।
अब बात करते हैं कि आखिर माता का कैसे किया जाता है 16 श्रृंगार
इसके लिए सबसे पहले तो ये जान लें कि सबसे पहले देवी दुर्गा को स्थापित करने के लिए एक चौकी लाएं और उस लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। इसके बाद उस पर माता रानी की तस्वीर या मूर्ति रख दें। इसके बाद मां को टीका लगाएं और श्रृंगार का सभी सामान अर्पित कर दें।
क्या होता है 16 श्रृंगार का महत्व
अब बारी आती है कि 16 श्रृंगार के महत्व की तो मान्यता है कि नवरात्रि में जो भी माता रानी को 16 श्रृंगार करता है, उसके घर में हमेशा ही सुख समृद्धि बनी रहती है, और इसके साथ ही साथ महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है। ध्यान रहे कि जो भी महिला माता रानी को 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करे, उसे खुद भी 16 श्रृंगार करना चाहिए। ऐसा करने से मां जल्द प्रसन्न हो जाती है और अखंड सौभाग्य का वरदान देती है। इसके अलावा शास्त्रों में शादीशुदा महिला के लिए लाल रंग को बहुत शुभ माना जाता है। जिस तरह यह रंग शादीशुदा महिलाओं के जीवन में खुशियां और सौभाग्य का प्रतीक है ठीक उसी तरह एक रंग ऐसा भी है जिसे नवरात्रि में पहनना वर्जित माना गया है और वो है काला रंग।