सावन का महिना समाप्त हो चुका हैं और भाद्रपद का महिना शुरू हो गया हैं| इस महीने में जन्माष्टमी का त्यौहार पड़ता हैं| जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान विष्णु के आंठवे अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पूरे भारत में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है| इस साल भी जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बन रहा है, जैसा द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था| अर्थात यह जन्माष्टमी बहुत ही खास होने वाला हैं| यह जन्माष्टमी नि:संतान दंपतियों के लिए बहुत ही खास हैं| संतान सुख प्राप्ति के लिए यह दिन बहुत ही खास माना जाता है| श्रीकृष्ण को बाल-गोपाल या माखन चोर भी कहाँ जाता हैं और इस दिन श्रीकृष्ण अपने सभी भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं|
जन्माष्टमी के दिन सभी कृष्ण भक्त व्रत रखते हैं और अपने कान्हा जी की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं| इसके अलावा कुछ भक्त लोग मंदिरों में जाकर भगवान श्री कृष्ण को नए वस्त्र धारण करवाते हैं| यहाँ तक की कुछ भक्त जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा का रूख करते हैं क्योंकि मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली हैं| कृष्ण भक्त मथुरा जाकर कृष्ण जन्मभूमि, प्रेम मंदिर, बांके बिहारी और राधारमन मंदिर जाकर भगवान श्रीकृष्ण जी के दर्शन करते हैं|
इसके अलावा मुंबई जैसे राज्य में दही हांडी का आयोजन किया जाता हैं| इस जन्माष्टमी बहुत ही खास योग बन रहा हैं जिसकी वजह से यह दिन उन लोगों के लिए बहुत ही खास होने वाला है| जिन दंपतियों को अभी तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुयी हैं| इस दिन संतानहीन दंपति को बस एक मंत्र का जाप करने से उनका संतान से जुड़ी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं| इस जन्माष्टमी संतानहीन दंपति ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत:।। मंत्र का जाप करे| इस मंत्र के जाप से संतान से जुड़ी आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जाएगी|
श्रीकृष्ण का यह मंत्र बहुत प्रभावी है| इस मंत्र का जाप यदि जन्माष्टमी के रात्रि में किया जाए तो इससे संतानहीन दंपति को संतान का सुख प्राप्त होता हैं| इस मंत्र का जाप जन्माष्टमी की रात्रि में वृषभ लग्न, रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में 21 बार करे| ऐसा करना बेहद फलदायक होता है| इस मंत्र का जाप यदि आप स्फटिक माला से करते हैं तो यह और भी ज्यादा लाभकारी सिद्ध होगा| इस मंत्र का जाप करने के लिए अपने घर के पूजा स्थान पर पीले रंग का आसन बिछाकर बैठे| भगवान श्रीकृष्ण को पीला अरंग अतिप्रिय है| इसके अलावा आप एक पटले पर पीला रेशमी कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें|
श्रीकृष्ण के मूर्ति या चित्र पर मोरपंख जरूर लगाएं| आब आप मूर्ति के सामने एक कटोरी में माखन और मिश्री भरकर रख दें और दूसरी कटोरी में शुद्ध जल को ले ले| अब आप अपनी इच्छित मानोकामना की पूर्ति के लिए हाथ में पूजा की सुपारी, अक्षत, पीला पुष्प और कुछ दक्षिणा रखकर संकल्प लीजिये| संकल्प लेने के बाद आप धूप-दीप करे और ऊपर बताएं गए मंत्र का जाप करना प्रारंभ करें|