शिया वक्फ़ बोर्ड ने आखिर क्या किया था दावा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया खारिज

अयोध्या विवाद जिसपर अब वर्षों बाद आज जाकर फैसला आया है, यह तो हम जानते ही हैं कि ये विवाद राम जन्मभूमि व बाबरी मस्जिद को लेकर था। वहीं ये भी सच है कि ये मामला 134 साल पूराना है लेकिन अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने इसे पूरी तरह से साफ कर दिया कि आखिर इस राम जन्मभूमि पर अब किसका हक होगा। इस बार 40 दिनों से चल रहे बहस के बाद आज 9 नवंबर को ये फैसला सुनाया गया, जो कि सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल रहे। पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है। अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर आज फैसले के दिन को देखते हुए न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के कई हिस्सों में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं।

अब विस्तृत रूप से जान लेते हैं कि आखिर फैसला हुआ क्या

तो सबसे पहले ये जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को बरकरार नहीं रखा, इसके अलावा अयोध्या की जिस 2.77 एकड़ की विवादित ज़मीन पर विवाद था, वो रामलला विराजमान को दी जाएगी यह फैसला किया गया इतना ही नहीं इसके साथ मुस्लिम भाईयों को किसी दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का निर्णय लिया गया जिसपर वो मस्जिद बनवाएंगे। इसके बाद जज ने इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज कर दी। आपको बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड ने अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट में जाकर दावा किया कि बाबरी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं शिया वक्फ बोर्ड की है।

दरअसल इस पूरे मामले में CJI ने कहा, हमने शिया वक्फ़ बोर्ड की तरफ से फाइल की गई SLP को खारिज कर दिया है, जिसमें फैज़ाबाद कोर्ट के 1946 के फैसले को चुनौती दी गई थी। इतना ही नहीं बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने करवाया था लेकिन ये उचित नहीं होगा कि सुप्रीम कोर्ट धर्मशास्त्र के क्षेत्र में दखल दे। आपको बता दें कि बाबरी मस्जिद जो आज राम जन्मभूमि पर बना हुआ है उसका निर्माण बाबर की सेना के एक जनरल ने करवाया था. उनका नाम था मीर बाक़ी ताशकंदी। बताया जाता है कि बाबर को खुश करने के लिए मीर बाक़ी ने मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर रख दिया था। मीर बाक़ी शिया मुसलमान थे। इस वजह से शिया वक्फ बोर्ड बाबरी मस्जिद पर दावा करता रहा है।

अयोध्या विवाद में क्या है शिया वक्फ बोर्ड का रोल?

इस पूरे विवाद में शिया वक्फ बोर्ड का अहम रोल है क्योंकि इस बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने अक्टूबर 2017 में एक नया सवाल उठा, जिसके जरिए जब कोर्ट ने राम मंदिर बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता की बात की थी तो रिज़वी ने कहा कि अयोध्या में कोई मस्जिद नहीं थी, सिर्फ राम मंदिर ही था। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कहा था कि शिया वक्फ़ बोर्ड राम मूर्ति के लिए चांदी के 10 तीर देगा। इस बात को सुनने के बाद कई मुस्लिम पक्ष इनका विरोध करने लगे।

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