आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का महत्व काफी ज्यादा है, शास्त्र व पुराणों इस दिन को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं। कहते हैं कि इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इतना ही नहीं चंद्रमा इस दिन संपूर्ण, सोलह कलाओं से युक्त होता है। हालांकि यह भी कहा जाता है कि इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और स्वास्थ्य तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था।
कहते हैं कि इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन स्वास्थ्य, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है पर प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों के पालन की आवश्यकता है। इस दिन को लेकर जो कथा है इस दिन मां लक्ष्मी अवतरित हुई थी, इसलिये शरद पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म के लिये बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा का भी महत्व है। मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी रात के समय पृथ्वी लोक का भ्रमण करती हैं।
रात चंद्रमा से बरसता है अमृत
परंपरा के अनुसार शरद पूर्णिमा की आधी रात में सोलह कलाओं से अमृत वर्षा होती है और ओस के कण के रूप में अमृत की बूंदें गिरती हैं इसलिए शरद पू्र्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे खीर का प्रसाद बनाकर रखा जाता है। ये तो धार्मिक कारण हुआ लेकिन इसके अलावा वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है, जिसमें बताया गया है कि दुध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है, यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है, इसके बाद चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है। वहीं खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए। क्योंकि चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है और विषाणु दूर होते हैं।
इस दिन कर्ज से मिलता है मुक्ति
वैसे आपको बताते चलें कि शरद पूर्णिमा को कोजागर व्रत के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस रात को मां लक्ष्मी सभी के घर आती हैं और जो कोई इस दिन सो रहा होता है उसके दरवाजे से वापस लौट जाती हैं। कहते हैं कि इस दिन लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती है। शास्त्रों में इस पूर्णिमा को कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी नौ लाख गोपिकाओं के साथ स्वयं के ही नौ लाख अलग-अलग गोपों के रुप में रास रचाया था।
शरद पूर्णिमा के दिन रखें ये सावधानियां
1. इस दिन व्रत रखकर पूरी तरह से जल और फल का सेवन करना चाहिए क्योंकि ये उपवास फलहार पर होता है।
2. अगर आप किसी भी वजह से इस दिन उपवास नहीं रख पा रहे हैं तो सात्विक भोजन ग्रहण करें।
3. इस दिन आप शरीर को जितना हो सके उतना ही शुद्ध और खाली रखेंगे आपके लिए बेहतर होगा, इससे आप अमृत को बेहतर तरीके से प्राप्त कर पाएंगे।
4. कहते हैं कि इस दिन सफेद रंग के कपड़े या चमकदार वस्त्र पहनें बहुत ही फायदेमंद रहेगा, इससे आपको पॉजिटिव उर्जा मिलेगी।