वास्तु के इस दिशा में पैर रखकर सोने से सुबह उठने पर महसूर होगी थकावट, जानें क्‍या हैं इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

ये बात तो हम सभी जानते हैं कि हमारे शास्‍त्रों में हमारी हर समस्‍या का समाधान है। शास्‍त्रों के बारे में जब आप विस्‍तार से जानेंगे तो आपको जीवन के हर दुख का निदान मिल जाएगा कुछ ऐसा ही है अपना वास्तुशास्त्र भी जी हां इसके जरिए ये जीवन के हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाता है। तभी तो व्‍यक्ति चाहे घर हो या ऑफिस, खाना हो या सोना हर काम के सही तरीके का उल्‍लेख वास्‍तुशास्‍त्र में किया गया है।

आपको बता दें कि वास्‍तुशास्त्र में दिए गए ये नियम व्यक्ति के जीवन को सुधार भी सकते हैं और अगर इनका पालन ना किया जाए तो यह जीवन का बिगाड़ भी सकते है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वास्तु शास्त्र घर, प्रासाद, भवन अथवा मन्दिर निर्मान करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है। जिस तरह अच्छी सेहत के लिए पौष्ट‍िक आहार, योग-ध्यान के साथ-साथ नियमित दिनचर्या भी जरूरी है। दिनचर्या में सही वक्त पर नींद लेना भी शामिल है।

उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है। वहीं अगर वास्तुशास्त्र विशेषज्ञों की माने तो हर काम की तरह सोने का भी एक सही तरीका होता है। दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके सोते हैं तो यह स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

वहीं आपको बता दें कि वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार पृथ्वी के दोनों ध्रुव, उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के भीतर चुंबकीय शक्ति विद्यमान है। जिसकी वजह से शारीरिक संरचना के अनुसार अगर आपका सिर उत्तर दिशा है और आपके पांव दक्षिण दिशा। वहीं आपको बता दें कि अगर आप उतर दिशा की ओर सिर और दक्षिण दिशा की ओर पांव रखकर सोते हैं तो ऐसे में ये प्रतिरोधक का काम करती हैं और इसके ठीक विपरीत दिशाएं एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं और समान दिशाएं प्रतिरोधक बन जाती हैं, जिसके चलते स्वास्थ्य और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

इतना ही नहीं वैज्ञानिकों की माने तो दक्षिण से उत्तर की ओर लगातार चुंबकीय धारा प्रवाहित होती रहती है। जब हम दक्षिण की ओर सिर करके सोते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे सिर ओर से प्रवेश करती है और पैरों की ओर से बाहर निकल जाती है। ऐसे में सुबह जगने पर लोगों को ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है।

ये है धार्मिक कारण –

इसके अलावा आपको ये भी बता दें कि पुराणों की माने तो दक्षिण को यम की दिशा माना जाता है और तो और ये भी बताया जाता है कि इस दिशा में पैर रखकर सोने से दोष लगता है। इसके साथ ही महाभारत के अनुशासन पर्व, पद्म पुराण और सृष्टि पुराण के अनुसार दक्षिण दिशा की तरफ पैर रखकर सोने से उम्र कम होती है। वही बताया ये भी जाता है कि ऐसे सोने से बीमारियां बढ़ती हैं और ऐसे घर से लक्ष्मी जी चली जाती हैं।

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