हिंदू धर्म में तो हर माह के कोई न कोई व्रत व त्योहार ही पड़ता रहता है, इनमें से सबसे महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है जो कि हमेशा ही पड़ता है, लेकिन आज हम जिस त्योहार की बात करने जा रहे हैं उसका नाम पापांकुशा एकादशी है। वैसे तो ये मुख्यरूप से वैष्णव समुदाय के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन ब्रह्मांड के रक्षक विष्णु जी को समर्पित है। विष्णु जी के हर रूप की पूजा अर्चना इस दिन की जाती है। मान्यता है कि इस तरह भगवान की आराधना करने से भक्त का मन शुद्ध होता है और उसमें सदगुणों का समावेश होता है। पापांकुशा एकादशी व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है। इस बार यह व्रत 9 अक्टूबर को पड़ेगी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो कोई यह व्रत रखता है वह सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि अगर पूरे विधि विधान से पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा और लगन से करना चाहिए। ज्योतिषियों की माने तो जब व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब होने के कारण व्यक्ति के विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से इसका सीधा प्रभाव मन एवं शरीर पर पड़ता है और व्यक्ति के सभी शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं।
कहा जाता है कि इस व्रत के करने से हजारों अश्वमेघ यज्ञों और सैकड़ों सूर्य यज्ञों के बाद भी इस व्रत का 16वां भाग जितना फल भी नहीं मिलता। कहते हैं कि इस दिन उपवास रखने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त होता है। जो लोग इस व्रत को नहीं रख पाते, वे भी इस दौरान दान करके पुन्य प्राप्त कर सकते है। इस दौरान जरूरतमंद को भोजन खिलाना चाहिए, कपड़ा, अन्य चीज दान में देनी चाहिए।
जानें पापांकुशा एकादशी व्रत के सही नियम
व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, ऐसा करने के बाद गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु की पूजा करें।
इसके बाद पूरे दिन पापांकुशा एकादशी व्रत नियम का पालन करें और सिर्फ फलाहार ही ग्रहण करें।
कहा जाता है कि पापांकुशा एकादशी को पूरी रात सत्यनारायण भगवान का कीर्तन करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
पापांकुशा एकादशी के दिन ब्राह्मणों को गाय, भूमि, जल और अन्न दान करें और दीन दुखियों को भोजन कराने की भी परंपरा है।
पापांकुशा एकादशी के दिन सोना, जूता, तिल और छाता आदि दान करने से व्यक्ति को सभी दोषों से मुक्ति मिल जाएगी।
वैसे आपको यह भी बता दें कि जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान के साथ पापांकुशा एकादशी का व्रत रखता है उससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और यह व्रत रखने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। वहीं, जो लोग पूर्ण रूप से उपवास नहीं कर सकते उनके लिए मध्याह्न या संध्या काल में एक समय भोजन करके एकादशी व्रत करने का विधान कहा गया है।