महानायक अमिताभ ने किया 301 तो धर्मेन्द्र ने किया कुल 300 फिल्मो में काम ,पर इस भारतीय नायिका ने 700 फिल्मो में काम कर रचा है इतिहास

भारतीय सिनेमा जगत में एक से बढ़कर एक टैलेंटेड कलाकार आए और चले गए जिनमें से कईयों ने तो लंबे समय तक अपनी अदाकारी का जादू बिखेर कर अपने स्टारडम कायम रखा और अपना पूरा जीवन अभिनय को ही समर्पित कर दिया तो वहीं इनमें से कुछ एक दो फिल्म करने के बाद ही इंडस्ट्री से गायब हो गए| आज हम बात करने जा रहे हैं बॉलीवुड इंडस्ट्री की एक ऐसी ही दिग्गज अदाकारा की जो कि मरते दम तक इंडस्ट्री से जुड़ी रही और अपने अभिनय करियर में इन्होंने 700 से भी ज्यादा फिल्मों में अपनी अदाकारी का जादू बिखेर कर सभी को चौंकाया है|

दरअसल हम बात करने जा रहे हैं कभी मां तो कभी कड़क सास का दमदार किरदार निभाने वाली वेटरन एक्ट्रेस ललिता पवार की जिन्होंने 7 दशकों तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया है और अपने अभिनय के दम पर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है|ललिता पवार का जन्म साल 1916 में हुआ था और इनका असली नाम अंबा लक्ष्मण राव शगुन था| ललिता पवार ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 1928 में रिलीज हुई साइलेंट फिल्म राजा हरिश्चंद्र से की थी और इस फिल्म में काम करने के लिए ललिता पवार को केवल ₹18 ही मिले थे| ललिता पवार ने अपने एक्टिंग करियर में कई सुपर डुपर हिट फिल्मों में मां और सास का किरदार निभाया है|

हालांकि इसे सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है रामानंद सागर की रामायण में उनके द्वारा निभाए गए मंथरा के किरदार से हासिल हुई थी | ललिता पवार 24 फरवरी सन 1988 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गई थी परंतु आज भी ललिता पवार को लोग उनके बेहतरीन अभिनय और शानदार अंदाज के लिए याद करते हैं|ललिता पवार जब 9 साल की थी तभी उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत कर दी थी और ललिता पवार ने अपने फिल्मी कैरियर में लगभग 700 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया था| ललिता पवार बहुत ही मेहनती एक्ट्रेस थी और वह 1 साल में 12 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया करती थी| एक्टिंग के साथ-साथ ललिता पवार शास्त्रीय संगीत में भी काफी निपुण थी|

ललिता पवार ने साल 1955 में श्री 420, मिस्टर और मिसेज 55 जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया था और वही साल 1959 में रिलीज हुई फिल्म अनाड़ी में ललिता पवार ने मिस डीसा का किरदार निभाया था जो कि काफी ज्यादा पॉपुलर हुआ था|खबरों की माने तो ललिता पवार बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी परंतु एक हादसे ने एक्ट्रेस की पूरी जिंदगी ही पलट कर रख दी थी| दरअसल साल 1942 में जब ललिता पवार फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ की शूटिंग कर रही थी तभी एक सीन के दौरान फिल्म के एक्टर भगवान दादा को ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था और वही अभिनेता भगवान दादा ने ललिता पवार को इतना जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था कि उनके कान से खून निकलने लगा था और उनके कान का पर्दा भी फट गया था|

वही इलाज के दौरान ललिता पवार गलत दवाओं के नतीजे की वजह से पैरालाइज हो गई थी आग लगने की वजह से एक्ट्रेस की दाहिनी आंख पूरी तरह से सिकुड़ गई और उनका चेहरा भी खराब हो गया था| इस हादसे के बाद ललिता पवार को फिल्मों में काम मिलना भी बंद हो गया परंतु उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और साल 1948 में रिलीज हुई फिल्म ‘गृहस्थी’ से ललिता पवार ने एक बार फिर से फिल्मों में वापसी की थी|

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