श्री कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।उन्होंने प्राणीमात्र को यह संदेश दिया कि केवल कर्म करना आदमी का अधिकार है। फल की इच्छा रखना उसका अधिकार नहीं। इंसान सुख और दुख दोनों में भगवान का स्मरण करता है।
हिन्दू पंचांग के अुनसार भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को कृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए हर साल इसी तिथि पर और इसी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी रात्रि 8:47 बजे से शुरू होकर अगले दिन 3 सितंबर को रात्रि 8:04 बजे समाप्त हो जाएगा|2 सितंबर को स्मार्त कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे और 3 सितंबर को वैष्णवों के लिए कृष्ण जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाएगा|इस दिन समस्त श्रीकृष्ण भक्त भक्ति रस में डूबे रहते हैं। कुछ ऐसे काम भी हैं जो इस दिन करने से पुण्य के साथ-साथ शुभ फल प्रदान करते हैं। यदि आप भी अपने जीवन में आर्थिक तंगी से परेशान है तो इस जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ये उपाय एक बार अवश्य कर ले इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी |
जैसा की हम सभी जानते है की जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है और उनकी पूजा आराधना की जाती है |आज हम आपको जो उपाय बताने जा रहे है उसके लिए आप श्रीकृष्ण पूजन करने से पहले कुछ सिक्के उनके सामने रखें, और आरती के उपरांत उन सिक्कों को अपने पर्स में रखें। इन सिक्कों को सहज कर रखें, जिससे सदा के लिए दूर हो जाएगी आपकी दरिद्रता और आपका पर्स हमेशा पैसों से भरा रहेगा |
कई बार हमारे साथ ऐसा होता है की हम पैसा तो बहुत कमाते है लेकिन पैसा हमारे पास टिकता नहीं है और यदि आपके पास धन आता तो है लेकिन बहुत जल्दी खर्च हो जाता है। ऐसे में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात 11 पीली कौड़िया रखकर 12 बजे श्रीविष्णु का देवी लक्ष्मी के संग पूजन करें। जब पूजन सामग्री समेटनी आरंभ करें तब कौड़ियों को उठाकर लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख लें।
जन्माष्टमी के दिन तुलसी पूजा का भी अत्यधिक महत्व होता है और इसीलिए शास्त्रों में बताया गया है की अष्टमी के दिन सूर्यास्त के बाद देवी तुलसी को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें और उनके पास तिल के तेल का दीपक लगाएं साथ ही ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ इस मन्त्र का जाप करें। कहा जाता है की इस मंत्र के जाप मात्र से व्यक्ति के भाग्य की रेखाएं बदल जाती हैं और उसकी सभी इच्छाएं भी पूर्ण होती है।इसी के साथ ही जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे दक्षिणावर्ति शंख से बाल गोपाल का अभिषेक करें और माता लक्ष्मी की उपासना करें इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी और इस दिन यह भी विधान है की अपनी क्षमता अनुसार फल और अनाज का दान करते है तो आपके घर में सदा बरकत बनी रहेगी।