क्या सच में लैंडर विक्रम से फिर से हो सकता है संपर्क, जानिए क्या कहना है इसरो के वैज्ञानिक का

चंद्रयान-2 को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है, वैसे तो काफी समय से यह सूर्खियों में है पर जब इस मिशन का महत्वपूर्ण चरण यानि की लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर लैंड करना था तभी किसी गड़बड़ी की वजह से इसरो का संपर्क उससे टूट गया और फिर उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही। इस मामले से जुड़े इसरो अधिकारी ने शनिवार को कहा कि इसरो ने विक्रम लैंडर और उसमें मौजूद प्रज्ञान रोवर को लगभग खो दिया है लेकिन उन्होने यह भी बताया है कि इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया।

जानकारी के अनुसार बता दें कि विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा फिर एकाएक उसका संपर्क टूट गया। हालांकि अभी आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। संपर्क टूटने के बाद मिशन चंद्रयान 2 को लेकर करोड़ो लोगों के चेहरे पर मायूसी छा गई थी। वहीं, अब इसरो ने बताया कि उम्मीदें अभी कायम हैं। इसरो अभी हिम्मत नहीं हारा है वैज्ञानिकों के हौसले पूरी तरह से अब भी बुलंद हैं।

जानकारी के लिए बताते चलें कि लैंडर का यह नाम इसरो के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था। इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था। लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर प्रज्ञान था।

सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था। इसरो का कहना है कि लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे। मिशन में ऑर्बिटर की आयु एक साल है।

वहीं आपको यह भी बता दें कि इसरो प्रमुख सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क करने के प्रयास किए जा रहे हैं, उनका कहना है कि आने वाले 14 दिनों में संपर्क की कोशिश की जाएगी। हमें ऑर्बिटर से काफी आकंड़े मिलेंगे। यह वैज्ञानिक शोध के लिए उपलब्ध होगा। अंत में सिवन ने कहा कि चंद्रयान 2 मिशन के नतीजों का हमारे आगे के प्रॉजेक्ट्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

वैसे आपको बताते चलें कि चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। फिलहाल लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है लेकिन ऑर्बिटर की उम्मीदें अभी कायम हैं। लैंडर-रोवर को दो सिंतबर को ऑर्बिटर से अलग किया गया था। ऑर्बिटर इस समय चांद से करीब 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगा रहा है। मिशन चंद्रयान 2 को लेकर 2379 किलोग्राम वजन वाला ऑर्बिटर चांद से जुड़ी हुई निम्न जानकारी जुटाएगा।

यान पर लगा लगा पेलोड टेरेन मैपिंग कैमरा हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरों की मदद से चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा। इससे चांद के अस्तित्व में आने से लेकर इसके विकासक्रम को समझने में मदद मिलेगी। इमेजिंग आइआरएस स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से यहां की सतह पर पानी और अन्य खनिजों की उपस्थिति के आंकड़े जुटाने में मदद मिलेगी।

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