वह शख्स जो दूध बेचकर बना मास्टर, रिटायरमेन्ट के दौरान मिले 40 लाख को बच्चों में बाँट दिया

भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बाद अगर किसी अन्य व्यक्ति का सबसे ऊंचा स्थान है तो वह है हमारे गुरु। हमारे पुराणों में भी गुरु का वर्णन मिलता है। गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे को बचपन से एक सुरक्षित मार्ग दिखाते हैं और सही राह पर ले जाते हैं वह गुरु ही होते हैं। यही नहीं बल्कि यह परंपरा दशकों सदियों पुरानी है किसी को शिक्षित करना सबसे महान कामों में से एक माना गया है। इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी कहानी सुनकर आपकी आंखों से भी आंसू निकल पड़ेंगे। इनकी कहानी जानकर आप भी कहेंगे कि आज भी लोगों में इंसानियत जिंदा है। यह कहानी है एक ऐसे शिक्षक की जो पूरी जिंदगी दूध बेचकर रिक्शा चलाकर हेड मास्टर बना और उसके बाद जब उसके रिटायरमेंट का समय आया तो उसने रिटायरमेंट में मिले अपने पूरे 40 लाख रुपए गरीब बच्चों में बांट दिए।

हम बात कर रहे हैं शिक्षक विजय कुमार के बारे में। खबरों की मानें तो विजय कुमार का जन्म एक बिहारी साधारण से परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया इसके साथ ही उन्होंने काफी समय तक रिक्शा भी चलाया। अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए दूध तक बेचा इतनी मेहनत मशक्कत करने के बाद उन्हें शिक्षक की नौकरी प्राप्त हुई। ऐसे में जब उन्हें जीवन में सुकून और आराम मिलने का समय आया जब उन्हें इतना सारा पैसा एकमुश्त मिला तो उन्होंने उस पैसे को अपने पास न रखते हुए पूरा पैसा गरीब बच्चों में दान कर दिया। गौरतलब है कि शिक्षक विजय कुमार जी चंसोरिया जिले के संकुल केंद्र रक्सोहा प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षक थे।

विजय कुमार को अपने रिटायरमेंट के दौरान लगभग 40 लाख रुपए जैसी मोटी रकम मिली। मगर उन्होंने वह पूरी रकम गरीब बच्चों में बांट दी। इसके बाद जब उनसे सवाल किया गया कि आपने रिटायरमेंट में मिले इतने सारे पैसे क्यों बांट दिए। उनका जवाब दिया था कि मैंने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है और मैं जानता हूं पैसे ना होने से कितनी समस्याएं होती हैं। इसी वजह से गरीब बच्चे पैसों के अभाव में शिक्षा पूरी न कर सके इसलिए मैंने अपने पूरे जीवन की कमाई करीब बच्चों में बांट दी। गौरतलब है कि इस तरह के लोग हमारे समाज में बहुत कम ही है। यही लोग हैं जो बताते हैं कि आज भी इंसानियत जिंदा है और इन्हीं लोगों की मिसाल दी जाती है।

विजय कुमार जी ने बच्चों और शिक्षा के लिए जो किया है शायद वह इतिहास के पन्नों पर लिखा जाएगा साथ ही अन्य लोगों को भी दान दक्षिणा करने के लिए प्रेरित करेगा। वह 1983 में रक्सेहा में सहायक शिक्षक बने। उन्होंने यहां 39 साल तक बच्चों को शिक्षा प्रदान की। गरीब बच्चों के बीच रहे और हमेशा बच्चों को उपहार देते रहे। उनके मुताबिक, बच्चों को उपहार देते वक्त उनके अंदर प्रेरणा उत्पन्न होती है।

 

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