दिवाली का त्योहार धनतेरस के पूजन से शुरू हो जाता है और इसी के साथ पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व को लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं. धनतेरस के दूसरे दिन और दीपावली के एक दिन पहले छोटी दीवाली यानी कि नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है| दिवाली के एक दिन पहले आने वाले इस त्योहार के दिन दीप दान किए जाते हैं. इस दिन घर के द्वार पर दीपक जलाए जाते हैं. इसलिए इसे छोटी दिवाली कlहा जाता है.
पुराणों की कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था।नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया और समाज में इन्हें मान सम्मान दिलाने के लिए स्वयं श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया। नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
ज्योतिष शास्त्र में भी इस दिन का अत्यधिक महत्व है। धर्म ग्रंथो के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व स्नान करता है वह नरक का भागी नहीं होता है, लेकिन जो सूर्योदय के बाद स्नान करता है उसके एक वर्ष के सभी पुण्यकार्य समाप्त हो जाते हैं। आइए नरक चतुर्दशी के दिन करने योग्य कुछ उपायों के बारे में जानते हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन सर्वप्रथम लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली के पैकेट की पूजा करें तत्पश्चात उन्हें एक लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दे। इस उपाय को करने से धन की प्राप्ति होती है और धन घर में रुकता भी है।
इस दिन स्नान से पहले शरीर पर तिल्ली के तेल से मालिश जरूर करनी चाहिए। कार्तिक के महीने में जो लोग तेल का प्रयोग नहीं करते है वह भी इस दिन तेल का प्रयोग कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है की इस दिन तिल्ली के तेल में लक्ष्मी जी का और जल में गंगा जी का निवास होता हैं। तेल लगाने से पहले शरीर में उबटन भी लगाना चाहिए। जल में हल्दी और कुमकुम डालकर स्नान करना सर्वोत्तम माना है।
नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के पश्चात पति-पत्नी दोनों को विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में दर्शन करने चाहिए। इससे व्यक्ति के सभी पाप कटते है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी के दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर 4 बत्तियों का दीपक जलाकर धर्मराज का ध्यान करते हुए पूरब दिशा की ओर मुख करके दीप दान करना चाहिए। इससे व्यक्ति के याम के मार्ग का अँधेरा समाप्त हो जाता है।
सनत कुमार संहिता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित दीप दान करने से पितरों को भी स्वर्ग का मार्ग दीखता है और उनको नरक से मुक्ति मिलती है।
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन ओर राजा बलि का स्मरण करना चाहिए ऐसा करने से लक्ष्मी जी स्थायी रूप से आपके घर में निवास करती हैं। वामन पुराण की कथा के अनुसार जब राजा बलि के यज्ञ को भंग करके वामन भगवान ने तीन पग में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया था तब राजा बली के द्वारा मांगे वर के अनुसार जो मनुष्य इस पर्व पर दीप दान करेगा उसके यहाँ स्थिर लक्ष्मी का वास होगा।
नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली के दिन किसी हांथी को मीठा खिलाना या फिर गन्ना खिलाना बेहद शुभ माना जाता है और ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख और तकलीफों का नाश हो जाता है |