जैसा कि हम सभी जानते हैं पिछले कुछ दिनों से देश भर में पर्व तथा त्याहारों का मौसम छाया हुआ है, पहले दशहरा फिर दिवाली और अब उत्तर भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही विशेष पर्व “छठ” आने वाला है। बताते चलें की यह महापर्व कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को शुरू होता है और यह सप्तमी तक चलता है। इस पर्व का महत्त्व इतना ज्यादा है कि लोग इसके लिए दिवाली के अगले रोज से ही तयारी में जुट जाते हैं, हर कोई षष्ठी माता और सूर्य नारायण को प्रसन्न करने की तैयारी में जुट जाता है।
विशेष रूप से बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार पूरे परिवार के साथ धूमधाम से मनाया जाता है, इसलिए जो लोग नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में घर से दूर रहते हैं, वे अब छठ पूजा में घर जा रहे हैं या जाने की तैयारी में है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और पूजा विधि तथा नहाय खाय से लेकर सूर्योदय को अर्घ्य देने तक की सारी विधि। क्योंकि छठ पूजा करने के लिए उसके पूर्ण विधि की जानकारी होना आवश्यक है।
नहाय-खाय से होती है शुरुआत
सबसे पहले तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की छठ का पर्व पुरे चार दिनों तक मनाया जाता है और इस बार इसकी शुरुवात 31 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ हो रही है। ऐसा बताया जाता है की इस दौरान व्रत करने वाले लोग प्रातः सुबह ही स्नान आदि करने के बाद साफ़ नए कपड़े पहन कर भोजन करते हैं, इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है की आप पूरी तरह से शाकाहारी भोजन करें और ये सबसे महत्वपूर्ण बात है की व्रत करने वाले व्यक्ति के भोजन कर लेने के पश्चात ही घर के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।
व्रत के अगले दिन इस विशेष पर्व में शामिल सभी महिला पुरुष उपवास करते हैं और उसी रोज सायंकाल में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद में चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ बनाया जाता है। साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है। इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है।
छठ के तीसरे दिन शाम के समय अर्घ्य दिया जाता है इसके साथ ही साथ आपको यह भी बता दें कि इस बार ये दिन 2 नवंबर को पड़ रहा है। इस पर्व को करने के लिए छठ व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत करते हैं और शाम के पूजन की तैयारियां करते हैं और नदी या फिर तालाब में जाकर खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
अब इसके अगले दिन यानि की पर्व के चौथे दिन सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय भी अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है और इस तरह छठ पूजा संपन्न होती है। जो कि 3 नवंबर को है। और ऐसा करके छठ पूजन का समापन हो जाता है। देखा जाए तो ये व्रत सभी व्रतों में सबसे ज्यादा कठिन होता है। क्योंकि इसमें निर्जला व्रत करने का अंतराल काफी ज्यादा होता है जो हर कोई सहन नहीं कर सकता है।