जानें, क्या है भाई दूज का शुभ मूहुर्त, ऐसे बनाकर लगाएंगी भाई को तिलक तो चमक जाएगी उसकी किस्मत

कल दीवाली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया गया, जिसके बाद इस 5 दिनों के त्योहार में भाई दूज का त्योहार भी दीवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह त्‍योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि को मनाया जाता है, कहते हैं कि इस तिथि से यमराज और द्वितिया तिथि का सम्बन्ध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है। इस दिन मृत्‍यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है।

हिन्‍दू धर्म में भैया दूज का विशेष महत्‍व है, रक्षाबंधन के बाद भैया दूज दूसरा ऐसा त्‍योहार है जिसे भाई-बहन बेहद उत्‍साह के साथ मनाते हैं। जहां, रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं वहीं भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। इतना ही नहीं कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाइयों को तेल लगाकर उन्‍हें स्‍नान भी कराती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि मान्‍यता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्‍यंत मंगलकारी और कल्‍याणकारी होता है।

जानकारी के लिए बता दें कि इस दिन जहां विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्‍हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं तो वहीं दूसरी ओर एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं। इस दिन बहनों द्वारा भाई को किए गए तिलक का बेहद ही खास महत्व है, जी हां कहते हैं कि ये तिलक भाईयों की रक्षा व उनकी सुनहरे भविष्य की कामना के साथ जुड़ा होता है। वैसे ज्योतिषियों व विद्वानों का कहना है कि अगर बहने भाई को लगाने के लिए तिलक को इस खास विधि से बनाती हैं तो उनकी किस्मत चमक सकती है इसलिए आज हम आपको इस विशेष तिलक के बनाने की विधि के बारे में बताएंगे लेकिन इससे पहले आइए जान लेते हैं…

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

पंडितों की माने तो इस दिन भाई दूज का शुभ मुहूर्त, दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक है। जिसमें बहने अपने भाई के उज्जवल भविष्य की कामना कर सकती हैं।

अब आइए जानें कैसे बनाएं भाई कि किस्मत चमकाने वाला तिलक?

सबसे पहले तो आप इसके लिए शुद्ध केसर की कम से कम 27 पत्तियां लें लें और इसके बाद उसमें शुद्ध लाल चंदन और गंगाजल मिला लें, लेकिन ध्यान रहे कि इस तिलक को तैयार करने के लिए आपको चांदी की कटोरी या फिर पीतल की कटोरी का ही प्रयोग करना है। अपने भाई को तिलक करने से पहले यह कटोरी भगवान विष्णु के श्री चरणों में रखें फिर “ॐ नमो नारायणाय:” मंत्र का 27 बार जाप करें।

ऐसा करने के बाद अब यह तिलक सबसे पहले भगवान गणपति और विष्णु जी को करें। उसके बाद यह तिलक अपने भाई को उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तिलक करें। इसके बाद अब बहन अपने भाई को कोई भी उसके पसंद की मिठाई खिलाए। कहते हैं कि ऐसा करने से भाई-बहन का स्नेह हमेशा के लिए बना रहता है और तो और भाई का भी सोया भाग्य जाग जाता है।

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