इस दुनिया में कई सारे देश हैं और हर देश के अपने अलग अलग कानून हैं, कई जगहों पर कुछ चीजों की पाबंदी है तो वहीं कई जगहों पर उन्हीं चीजों के लिए सरकार नागरिकों को पुरस्कार देती है ताकि वो प्रोत्साहित हो सके। आज हम आपको एक ऐसे ही देश के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको यकीन नहीं होगा लेकिन ये सच है। आपको बता दें कि जिस देश के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि कजाखस्तान है।
दरअसल आपको बता दें कि कजाखस्तान में बड़े परिवारों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है क्योंकि सरकार चाहती है कि इस देश के परिवारों में अधिक बच्चे हों इसलिए, इस देश की जन्म दर बढ़ाने में योगदान देने वाली वाली मांओं को ‘हीरो मदर्स’ का मेडल दिया जाता है। ये सुनने में आपको अजीब जरूर लग रहा होगा पर यह पूरी तरह से सच है।
इस मेडल को पाने के लिए यहां की सरकार ने कुछ नियम बनाएं हैं जिसमें यह कहा गया है कि अगर किसी परिवार में 6 बच्चे हैं तो उन बच्चों को जन्म देने वाली मां को रजत पदक दिया जाता है। अगर वहीं उसके 7 या फिर उससे भी अधिक बच्चे हैं तो उन मां को स्वर्ण पदक से नवाजा जाता है। इतना ही नहीं खास बात तो यह है कि ये पदक पाने वाली मांओं को सरकार से ताउम्र मासिक भत्ता भी मिलता है।
अभी बात करें हाल की तो कजाखस्तान की रहने वाली रौशन कोजोमकुलोवा को यह पदक प्राप्त हुआ है, उनको सरकार ने रजत और स्वर्ण पदक दोनों से नवाजा है। कोजोमकुलोवा को अपनी इन बड़ी उपलब्धियों पर नाज है, जानकारी के लिए बता दें कि इनके आठ लड़कियां और दो लड़के हैं। खाने की मेज पर सभी बच्चे एक साथ खाना खा रहे हैं। सबसे छोटा बच्चा बड़े भाई की गोद में बैठकर खाना खा रहा है। खास बात तो यह है कि कोजोमकुलोवा अपने मेडल बैज टी-शर्ट के ऊपर लगाकर दिखाती हैं। स्वर्ण पदक मिलने के बाद वह उम्र भर सरकारी भत्ते की हकदार हैं।
हालांकि अवार्ड पाने वाली ये पहली महिला नहीं हैं, इनके अलावा बक्तीगुल हलाइकबेवा नामक महिला को भी मेडल मिला है। इनके 6 बच्चे हैं, इसलिए इन्हें सिल्वर मेडल मिला है और सरकार से हर महीने भत्ता मिलता है। हलाइकबेवा का एक बेटा अभी गोद में है। दरअसल आपको बताते चलें कि कजाख्स्तान में ये प्रथा सोवियत संघ के समय से शुरू हुई थी। 1944 में सोवियत संघ ने ‘मदर हीरोइन’ पुरस्कार शुरू किया था। यह उन परिवारों को दिया जाता था, जिनमें 10 या अधिक बच्चे हों। मांओं को सम्मानित करने के लिए सोवियत सरकार उनको सितारे जैसा बैज और प्रशस्ति-पत्र देती थी।
ऐसे में अब सोवियत संघ की तुलना में यह पुरस्कार छोटे परिवारों को भी मिलने लगा है, क्योंकि जन्म दर ऊंची रखना अब भी कजाखस्तान सरकार की प्राथमिकता है। हीरो मदर कहलाने के लिए अब कम से कम चार बच्चे होने जरूरी हैं। देखा जाए तो ये एक अच्छा तरीका है जिससे मां को प्रोत्साहन भी मिलता है और परिवार को आर्थिक सहायता भी।