घर पर कैसे करें तुलसी विवाह, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व महत्व

हिन्दू धर्म मे कई सारे त्योहार आते हैं और सभी त्योहार का अपना अलग ही महत्व होता है, वहीं बात करें कार्तिक माह की तो इस माह में के सारे महत्वपूर्ण त्योहार पड़ते हैं इसी क्रम में 9 नवम्बर शुक्रवार के दिन कार्तिक माह की एकादशी तिथि पड़ रहा है, जो कि कई मायने में महत्वपूर्ण है, इस दिन शास्त्रों के अनुसार तुलसी विवाह कराने की परंपरा है। जी हां इस दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है, शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप मन जाता है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि इसी दिन से भगवान विष्णु के साथ सभी देवी देवता भी योग निद्रा से बाहर आते हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

जानें क्यों कराया जाता है तुलसी विवाह

इस दिन तुलसी विवाह कराने के पीछे कारण बताए गए है। दरअसल एक पौराणिक कथा के अनुसार वृंदा जी ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। यही पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।’ शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।

क्या है तुलसी विवाह के फायदे:

मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है। इसके साथ ही शादी में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है। शास्त्रों की माने तो है तुलसी विवाह से कन्यादान जैसा पुण्यफल भी प्राप्त होता है।

तुलसी विवाह की विधि :

अब बात करेें तुलसी विवाह के विधि की तो कार्तिक माह के शुक्ल एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के गमले को गेरु आदि से सजाते हैं। उसके चारों तरफ ईख का मण्डप बनाकर उसके ऊपर ओढ़नी ओढ़ाते हैं। फिर गमले को साड़ी में लपेटकर तुलसी को चूड़ी पहनाई जाती है और उनका श्रृंगार करते हैं। इसके बाद भगवान गणेश आदि देवताओं तथा शालिग्राम जी का विधिवत पूजन किया जाता है।

फिर तुलसी जी की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है और ‘तुलस्यै नमः’ मंत्र का जाप किया जाता है। इसके बाद एक नारियल दक्षिणा के साथ टीका के रूप में रखते हैं तथा भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा कराई जाती है और आरती उतार कर विवाहोत्सव संपन्न किया जाता है। हिन्दू विवाह के समान ही तुलसी विवाह के भी सभी कार्य संपन्न होते हैं। विवाह के समय मंगल गीत भी गाए जाते हैं।

तुलसी विवाह तिथि और मुहूर्त :

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त शनिवार, नवम्बर 9, 2019 से है, इसके बाद नवम्बर 08, 2019 को 12:24 बजे
द्वादशी तिथि प्रारम्भ होगा व फिर 09 नवंबर 2019 को 02:39 बजे समाप्त होगा।

घर पर ऐसे करें तुलसी विवाह

शाम के समय जब भी तुलसी विवाह करें उससे पहले तुलसी के गमले के पास गेरु से रंगोली बनाएं, फिर गन्‍ने की मदद से मंडप सजाएं। इसके बाद दो चौकी रखें जिस पर तुलसी का गमला और दूसरी चौकी पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। शालिग्राम के दाईं ओर तुलसी जी स्थापित करें।

शालिग्राम वाली चौकी पर अष्टदल कमल बनाएं और उस पर कलश की स्थापना करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं, इसके बाद आम के पत्तों पर रोली से तिलक करके उसे कलश पर स्थापित करके उस पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रखें। इतना ही नहीं इसके बाद तुलसी के समाने घी का दीपक जलाएं। फिर तुलसी का विवाह कराएं।

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