धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला त्यौहार है। धन तेरस को धन त्रयोदशी व धन्वंतरि जंयती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धन तेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। धन्वंतरि देव जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे उस समय उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। इसी वजह से धन तेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर्व से ही दीपावली की शुरुआत हो जाती है।
धनतेरस को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करना शुभ होता है और घर में शुभता लेकर आता है. इस दिन खरीदारी करने से मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और धन-संपत्ति प्राप्ति का वरदान देते हैं|वैसे तो कहते हैं कि धनतेरस का दिन इतना शुभ होता है कि इस दिन अगर कोई व्यक्ति पूरे दिन में कभी भी खरीदारी करे तो वह अच्छा ही होगा. हर धनतेरस पर खरीदारी करने का शुभ समय होता है, जिसमें खरीदारी करने पर ज्यादा फल की प्राप्ति होती है.
इस बार धनतेरस का त्योहार 5 नवंबर 2018 को पड़ रहा है। इस दिन अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग आैर सोम प्रदोष भी पड़ रहा है। इस दिन भद्रा भी लग रही है। 5 नवम्बर 2018 धनतेरस के शुभ मुहूर्त के जो शुभ योग है वो कुछ इस प्रकार है सुबह की मुहूर्त- 07:07 से 9:15 बजे तक, दोपहर का मुहूर्त- 01:00 से 02:30 बजे तक ,शाम का मुहूर्त- 05:35 से 07:30 बजे तक इसीलिए जो भी चीजे खरीदे इसी शुभ खरीदे इससे आपको इसका कई गुना लाभ प्राप्त होगा |इसके अलावा दोपहर 02.55 से 4.20 तक राहुकाल योग रहेगा और इस दौरान भूल से भी किसी तरह की खरीददारी ना करें और पूजा भी ना करें
धन तेरस का शास्त्रोक्त नियम
- धनतेरस पर धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा का विधान है। षोडशोपचार यानि विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना। इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन (सुगंधित पेय जल), स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा आदि है।
- धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है। इसी आधार पर इसे धन त्रयोदशी या धनतेरस कहते हैं। इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए। क्योंकि धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है।
- धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।
- धनतेरस से दिवाली तक लक्ष्मी और माया मंत्र का जाप उत्तम फल प्रदान करता है. उसके पश्चात संभव हो, तो यह जप नित्य दोहराते रहें. परंपराएं इसे आर्थिक संकोच मिटाने वाला मानती हैं.
- धनतेरस के दिन पांच गोमती चक्र पर केसर और चंदन से ‘श्री ह्रीं श्री’ लिखकर लक्ष्मी पूजन में उन्हें शामिल करके उनके समक्ष लक्ष्मी मंत्रों का यथाशक्ति अधिक संख्या में जाप करें. तत्पश्चात उन्हें धन के साथ रखें.
धनतेरस पर इन सामानों का खरीदना भी नुकसानदेह
धनतेरस के दिन कांच का सामान भूलकर भी न खरीदें| यह भी आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है| इस दिन धारदार सामान जैसे कैंची, चाकू आदि नहीं खरीदना चाहिए| इसी के साथ धनतेरस के दिन काले रंग के कपड़े भी नहीं धारण करना चाहिए| हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों पर काला रंग पहनना अशुभ माना जाता है| इसी कारण धनतेरस के दिन भी काले रंग की चीजें न खरीदें|