नवरात्र नौ दिन त्यौहार होता है और अब इस त्योहार का आखिरी समय चल रहा है। वहीं ये भी बता दें कि नवरात्र का जो आखिरी समय होता है वो बेहद ही महत्व रखता है। इन दिनों में माता के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। वैसे हम सभी ये जानते ही हैं कि अष्टमी व नवमी को कन्या पूजन किया जाता है तो इस बार अष्टमी यानि 6 अक्टूबर को है और नवमी 7 अक्टूबर को है।
हालांकि अष्टमी को माता दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है वहीं नवमी के दिन माता के 9 वें रूप सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है। लेकिन सबसे खास बात तो यह है कि नवमी के दिन माता के सिद्धिदात्री रूप की पूजा के बाद ‘चंडी होम हवन’ भी किया जाता है। खासकर ध्यान रहे कि ‘चंडी होम हवन’ कन्या पूजन के बाद किया जाता है। देवी सिद्धिदात्री की उपासना से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी सभी आठों प्रकार की सिद्धियां साधक को प्राप्त होती हैं।
आज हम आपको इसी बारे में विशेष जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर चंडी होम हवन होता क्या है? और क्यों किया जाता है ? मान्यता है कि कन्या पूजा करने के बाद ‘चंडी होम हवन’ कराने से घर में सुख, शांति आती है। इतना ही नहीं इसके अलावा शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि ‘चंडी होमम हवन’ मां दुर्गा को खुश करने के लिए किया जाता है। इसे नवमी होम, चंडी होम या चंडी होम हवन भी कहा जाता है।
जानें कैसे करें चंडी होम हवन
सबसे पहले हवन कुंड को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए, इसके बाद हवन कुंड को गाय के गोबर से अच्छे से लीप लेना चाहिए। इतना करने के बाद वेदी के बीच में से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर ले जाते हुए तीन रेखाएं खींचें। अब अपनी अनामिका अंगूली या फिर अंगूठे के सहारे से हवन कुंड से कुछ मिट्टी बाहर फेंक दें। इतना ही नहीं ऐसा करने इसके बाद हवन कुंड को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। ये सब करने के बाद हवन कुंड में लकड़ी रखें और अग्नि प्रज्वलित करें।
एक बात का ध्यान जरूर रखें कि ये सब करने के बाद इसके बाद घी की आहुति देने के साथ ही इन मंत्रों का जप करें…
ऊँ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम्।
ऊँ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम्।
ऊँ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम्।।
ऊँ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम्।
ऊँ भूः स्वाहा। इदं अग्नेय न मम्।
ऊँ भुवः स्वाहा। इदं वायवे न मम्।
ऊँ स्वः स्वाहा। इदं सूर्याय न मम्।
ऊँ ब्रह्मणे स्वाहा। इदं ब्रह्मणे न मम्।।
ऊँ विष्णवे स्वाहा। इदं विष्णवे न मम्।
ऊँ श्रियै स्वाहा। इदं श्रियै न मम्।
ऊँ षोडश मातृभ्यो स्वाहा। इदं मातृभ्यः न मम॥
कहा जाता है कि अगर आप इस हवन के बाद इन मंत्र का जाप कर लेते हैं तो आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जाएगी , इतना ही नहीं पूरा साल माता आपपर अपनी कृपा बरसाएंगी। इसके साथ ही साथ आपकी 9 दिन की पूजा भी सफल होगी।