इसरो का महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 2 पिछले कई महीनों से चर्चा में है, हो भी क्यों न भला ये मिशन एक बेहद ही महत्वपूर्ण मिशन था। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों की नजरें इस मिशन पर टिकी हुई थीं, वहीं बता दें कि इस मिशन के पूरी तरह से सफल न होने का दुख इसरो के वैज्ञानिकों को ही नहीं बल्कि देशवासियों को भी उतना ही था। पर अभी हाल ही में इस मिशन को लेकर जो खबर आई है वो न ही सिर्फ हमारे देश के लिए बल्कि दुनियाभर के लिए है।
दरअसल आपको बता दें कि हाल ही में इसरो ने अच्छी खबर दी है। बताया जा रहा है कि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर पेलोड ने चार्ज पार्टिकल्स और इसकी तीव्रता का पता लगा लिया है, इतना ही नहीं जब से इसरो ने यह जानकारी दी है तभी से एक बार फिर से लोगों के मन में इस मिशन को लेकर उम्मीदें जाग उठी हैं और हर कोई इसपर कयास लगाए बैठे है कि हो सकता है कि बेहद जल्द विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित किया जा सके।
इसरो से मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि ऑर्बिटर का संपर्क पृथ्वी पर बना हुआ है और अब इसके सहारे ही इसरो के वैज्ञानिक चांद से तमाम नई जानकारियां हासिल कर सकेंगे। बता दें कि हर 29 दिन पर चंद्रमा करीब 6 दिनों के लिए जियोटेल से गुजरता है लेकिन वहीं चंद्रयान 2 चंद्रमा की कक्षा में है इसकी वजह से उसे यह मौका हासिल हो गया है और इस दौरान चंद्रयान में लगे उपकरणों की सहायता से वैज्ञानिक जियोटेल के गुणों का पता आसानी से लगा सकते हैं।
इतना ही नहीं जब इस बारे में इसरो से पूछा गया तो वहां के वैज्ञानिको ने बताया कि हमारे सोलर सिस्टम में सूर्य से इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन लगातार निकलता है जिसे ‘सोलर विंड’ कहते हैं। और सोलर विंड प्लाज्मा में चार्ज पार्टिकल्स होते हैं जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद होते हैं, इन कणों की गति सैंकड़ों किमी प्रति सेकेंड होती है। पृथ्वी, चंद्रमा व सोलर सिस्टम के तत्वों के साथ इनका परस्पर तालमेल होता रहता है।
इसरो ने ट्वीट कर यह भी बताया कि सितंबर माह में जियोटेल से गुजरने के दौरान चंद्रयान 2 ऑर्बिटर पेलोड ने चार्ज पार्टिकल्स को ढूंढ निकाला। इतना ही नहीं इसके साथ इन पार्टिकल्स की तीव्रता का भी पता लगाया है। जैसा कि आपको यह पता होगा कि इस मिशन में इसरो ने चंद्रयान 2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा था।
इस मिशन में चंद्रयान 2 आर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ गया था लेकिन इस दौरान लैंडर से संपर्क टूट जाने से यह मिशन पूरा नहीं हो पाया था और उम्मीद लगाया जा रहा था कि लैंडर क्षतिग्रस्त हो गया है लेकिन अभी कि स्थिति की माने तो अब ऑर्बिटर अपना काम बखूबी कर रहा है। वहीं ये भी बता दें कि अभी तक इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। पर उम्मीद है कि अभी भी इस मिशन के जरिए काफी कुछ जानकारी हासिल किया जा सकता है।