14 अक्टूबर यानि की कल से सोमवार के दिन से ही कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की शुरूआत हो गई है। ऐसे में आज यानि की 13 अक्टूबर मध्य रात्रि से ही शरद पूर्णिमा की समाप्ति के साथ कार्तिक माह की शुरूआत हो जाएगी लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि उदया तिथि के आधार पर 14 तारीख से ही कार्तिक मास आरंभ माना जाएगा। ऐसे में व्रत-त्योहारों का यह कार्तिक माह रविवार से शुरू हो जायेगासाल के 12 महीनों में से कार्तिक का महीना सबसे उत्तम और पवित्र माना गया है। शास्त्रों की मानें तो यह माह भगवान विष्णु को समर्पित होता है, यही वजह है कि इस माह में किए गए दान पुण्य भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं। कहा जाता है कि कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक नियमित सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करना दूध से स्नान का पुण्य देता है। इस माह का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है, इसलिए इन दिनों कई तरह के कार्य करने को बताया गया।
महत्व
कार्तिक माह के व्रत को कलियुग में मोक्ष के साधन के रूप में दर्शाया गया है। पुराणों के मतानुसार, इस मास को चारों पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। यही वजह है कि कार्तिक मास को रोगापह अर्थात् रोगविनाशक कहा गया है। सद्बुद्धि प्रदान करने वाला, लक्ष्मी का साधक तथा मुक्ति प्राप्त कराने में सहायक बताया गया है। इसके अलावा इस माह में कार्तिक मास में दीपदान करने का विधान है। भगवान विष्णु एवं विष्णु तीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है। कार्तिक मास कल्याणकारी मास माना जाता है
स्नान की है परंपरा
कार्तिक माह में स्नान करने की परंपरा बताई गई है जिसके पीछे की कहानी ये है कि एक गणिका थी। जवानी ढलने लगी तो उसे मृत्यु और उसके बाद की स्थिति का विचार परेशान करने लगा। कहा गया कि वो एक दिन वो किसी ऋषि के पास गई और अपनी मुक्ति का उपाय पूछने लगी तभी उन्होने उस गणिका को कार्तिक स्नान का महात्म्य बताया। कहा कि हर दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके तट पर दीप जलाकर भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करने लगी। इसलिए इस पुण्य के प्रभाव से बिना कष्ट शरीर से उसके प्राण निकल गए और ऐसे में वो दिव्य विमान में बैठकर बैकुंठ चली गई। यानि की उसे बैकुंठ की प्राप्ति हुई।
दान का है महत्व
बता दें कि कार्तिक माह में दान का बेहद ही ज्यादा महत्व है, इसके पीछे भी एक कहानी छिपी है जो कि भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा को बताया था कि वह पूर्वजन्म में भगवान विष्णु की पूजा किया करती थीं। जीवन भर कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करके वह तुलसी को दीप दीखाती थीं। इस पुण्य से सत्यभामा श्रीकृष्ण की पत्नी हुईं। इतना ही नहीं श्रीकृष्ण ने यह भी बताया कि कार्तिक का महीना सभी महीनों में मुझे अति प्रिय है। जो भी व्यक्ति इस महीने में अन्नदान, दीपदान करता है उस पर कुबेर महाराज भी कृपा करते हैं।