वैसे हमारे शास्त्रों में कई बातें बताई गई हैं जिसमें हमारे संस्कारों से लेकर कई तरह के रिति रिवाज के बारे में बताया गया है। जिसमें से कई सारी बातें ऐसी है जिसके बारे में पता नहीं होता है। वहीं ये भी बता दें की हिंदू धर्म में कुल सोलह संस्कार होते हैं जिसमें लोगों के जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी क्रियाएं बताई गई है आपको ये तो पता ही होगा की जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसके बाद अंतिम यानि की 16 वें संस्कार की क्रिया की जाती है। दरअसल आपको बता दें की किसी इंसान के मरने के बाद उसकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है और दाह संस्कार किया जाता है मृत व्यक्ति की शव यात्रा और अंतिम संस्कार में परिवार के सभी पुरुष शामिल होते हैं लेकिन घर की महिलाओं को इस अंतिम क्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया जाता।
इसके साथ ये भी बता दें की हिन्दू धर्म में पार्थिव शरीर को सूर्यास्त से पूर्व दाह संस्कार करने का नियम है। सनातन धर्म में साधु को समाधि और सामान्यजनों का दाह संस्कार किया जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं इसके अलावा ये भी बता दें की साधु को समाधि इसलिए दी जाती है क्योंकि ध्यान और साधना से उसका शरीर एक विशेष उर्जा और ओरा लिए हुए होता है इसलिए उसकी शारीरिक ऊर्जा को प्राकृतिक रूप से विसरित होने दिया जाता है जबकि आम व्यक्ति को इसलिए दाह किया जाता है क्योंकि यदि उसकी अपने शरीर के प्रति आसक्ति बची हो तो वह छूट जाए और दूसरा यह कि दाह संस्कार करने से यदि किसी भी प्रकार का रोग या संक्रमण हो तो वह नष्ट हो जाए।
लेकिन आपको बता दें की इन सभी बातों के अलावा ये भी माना जाता है की महिलाओं को श्मशान घाट पर नहीं जाना चाहिए। दरअसल इसके पीछे कई तरह के तथ्य दिए जाते हैं जिसमें ये भी कहा जाता है की महिलाओं का ह्रदय कोमल होता है। किसी भी बात पर वह सहज ही डर सकती है। अंतिम संस्कार करते समय मृत शरीर कई बार अकड़ने की आवाजें करता हुआ जलने लगता है, जिससे उन्हें डर लग सकता है। इसके अतिरिक्त वहां पर मृतक का कपाल फोड़ने की क्रिया की जाती है जो किसी को भी डरा सकती है।
कुछ लोगों का तो ये भी कहना होता है की श्मशान घाट पर नकारात्मक उर्जाएं ज्यादा होती है और महिलाओं के वहां जाने पर नकारात्मक ऊर्जा आसानी से उनके शरीर प्रवेश कर सकती है क्योंकि स्त्रियां कोमल ह्रदय की मानी जाती है साथ ही नकारात्मक ऊर्जा से उनके अंदर बीमारी फैलने की संभावना ज्यादा होती है।
शास्त्रों के अनुसार ये भी कहा जाता है की अंतिम संस्कार में परिवार के सदस्यों को अपने बाल कटवाने पड़ते हैं और शव के जलते समय वातावरण में कीटाणु फैल जाते हैं और शरीर के कोमल हिस्सों में चिपक जाते हैं इसलिए श्मशान में बाल कटवाने के बाद स्नान किया जाता है जबकि महिलाओं के मुंडन को शुभ नहीं माना जाता है।