आखिर क्यों गणेश जी को इतने पसंद हैं मोदक? शास्त्रों के अनुसार बताए गए ये 4 कारण

दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं, जब भी गणेश जी की पूजा अर्चना होती हैं तो उन्हें सबसे पहले मोदक का भोग लगाया जाता हैं. आप ने ये कई बार सूना होगा कि मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय होते हैं. उन्हें मोदक का भोग लगाकर आप जल्दी प्रसन्न कर सकते हैं. आप गणेश जी के सामने रसगुल्ला, मालपुआ, रसमलाई जैसे 56 भोग का प्रसाद भी क्यों ना चढ़ा दो लेकिन जब तक उन्हें मोदक ना चढ़ाया जाए वे प्रसन्न नहीं होते हैं. ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा हैं कि आखिर वो क्या वजह हो सकती हैं जिसके कारण ये मोदक गणपति बाबा को इतने प्रिय हैं. आज हम उसी राज से पर्दा उठाने जा रहे हैं.

इन वजहों से गणेश जी को पसंद हैं मोदक


1. जैसा कि आप सभी जानते हैं गणेश जी का एक दांत परशुराम के साथ लड़ाई करते वक़्त टूट गया था. ऐसे में उन्हें अन्य चीजों को खाने में बड़ी परेशानी होती हैं, क्योंकि इन्हें ठीक से चबाया नहीं जा सकता हैं. हालाँकि जब बात मोदक की आती हैं तो वो काफी मुलायम होता हैं. मोदक मुंह में जाते ही घुल जाता हैं और इसे ठीक से चबाना भी नहीं पड़ता हैं. इसके अलावा इसका मीठा स्वाद पुरे मन को प्रसन्न और आनंदित कर देता हैं.

2. मोदक एक ऐसा मिष्ठान हैं जिसे खाने के बाद दिल प्रसन्न हो जाता हैं. इसके नाम में ही इसकी खूबी का जिक्र देखने को मिलता हैं. यदि आप मोदक शब्द पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि यहाँ ‘मोद’ का अर्थ हर्ष मतलब कि ख़ुशी होता हैं. इसके अलावा शास्त्रों की बात करे तो उनका वर्णन मंगलकारी एवं सदैव प्रसन्न रहने वाले देवता के रूप में किया गया हैं. वे कभी कोई चिंता नहीं लेते हैं. शायद यही कारण हैं कि गणेश जी को मोदक पसंद हैं क्योंकि इसे खाकर वे हमेशा प्रसन्न रहते हैं.

3. पद्म पुराण के सृष्टि खंड में भी गणेश जी को मोदक पसंद होने के पीछे एक दिलचस्प कहानी का जिक्र हैं. इस पुराण के अनुसार मोदक की उत्पत्ति अमृत से हुई हैं. देवताओं ने अमृत रूपी ये मोदक पार्वती को भी दिया था. ऐसे में जब गणेशजी ने माँ पार्वती के मुंह से मोदक के गुणों के बारे में सूना तो उनकी मोदक खाने की इच्छा और भी बढ़ गई. इसके बाद अपनी बुद्धि से गणेश जी ने पार्वती से वो मोदक हासिल भी कर लिया. इस मोदक को मुंह में रखते हुए गणेश जी को अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुई. तभी से ये मोदक उनके प्रिय बन गए. इसलिए गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है, “यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।” इसका मतलब होता हैं कि गणेश जी को मोदक चढ़ाने के बाद वो प्रसन्न हो जाते हैं और आपकी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं.

4. यजुर्वेद में गणेश जी का वर्णन परब्रह्म रूप में किया गया हैं. ऐसे में यदि आप मोदक को देखेंगे तो उसकी आकृति भी ब्रह्माण्ड जैसी होती हैं. गणेश जी की कई आकृतियों में वे हाथ में मोदक धारण किए हुए हैं. ये बात दर्शाती हैं कि उन्होंने अपने हाथ में ब्रह्माण्ड धारण किया हुआ हैं.

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