सिनेमा जगत में अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुख्त करने वाले लीजेंड्री सुपरस्टार दिलीप कुमार ने 7 जुलाई 2021 को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर सुनकर ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई। दिलीप कुमार के जीवन के सफर में सायरा बानो हमेशा उनके साथ रहीं। उनकी हर सांस ही युसूफ साहब के लिए होती है। उन्होंने अपना पूरा जीवन दिलीप कुमार को समर्पित किया। दिलीप कुमार और सायरा बानो का रिश्ता लोगों के लिए प्यार की सच्ची मिसाल बना। लेकिन आज हम आपको बताएंगे आखिर क्यों दिलीप और सारा बानो ताउम्र रहे बेऔलाद।
इस कारण रहे बेऔलाद
इस बात से तो आप वाकिफ ही होंगे कि दिलीप कुमार और सायरा बानो की कोई औलाद नहीं थी। दिलीप कुमार ने अपनी बायोग्राफी ‘Dilip Kumar: The Substance and the Shadow’ में कोई औलाद ना होने का जिक्र किया था। उन्होंने औलाद ना होने का कारण बताते हुए कहा कि असल में 1972 में सायरा प्रेग्नेंट थीं, लेकिन इस बीच 8वें महीने उनका ब्लडप्रेशर हाई होने के कारण बच्चे की जान नहीं बच सकी। इस घटना के बाद दिलीप और सायरा ने फिर कभी बच्चे के बारे में नहीं सोचा। भले ही इस जोड़ी को संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ लेकिन उनका रिश्ता हमेशा शुरुआत से लेकर दिलीप कुमार के आखिरी दम तक गहरा रहा।
बच्चा खोने पर बोलीं सारा
एक खास इंटरव्यू के दौरान जब सायरा से उनके परिवार में कोई बच्चा ना होने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए जिंदगी में हमारी शादी ज्यादा मायने रखती है। मुझे कभी भी बच्चे की कमी महसूस नहीं हुई क्योंकि दिलीप साहब खुद दिल से एक बच्चे की तरह हैं। दिलीप कुमार ने सायरा को इतना प्यार दिया कि वो अपने 8 महीने के बाद खोए हुए बच्चे के दर्द से उबर कर बाहर आ गईं। दोनों ने हमेशा एक-दूसरे को मजबूत बनाया और हर तरह की परेशानी का डट कर सामना किया।
जिंदगी में ऐसे रहे हमेशा खुश
भले ही दिलीप कुमार और सायरा बानो ने जिंदगी में अपनी संतान का सुख प्राप्त नहीं किया। लेकिन उन्होंने दूसरे बच्चों पर खूब प्यार लुटाया। उनके रिश्ते ने लोगों को सिखाया कि बुरे समय में भी जिंदगी में हर खुशी तलाशी जा सकती है। एक खास बातचीत के दौरान दिलीप कुमार ने बताया था कि उन्हें बच्चे बहुत पसंद हैं, लेकिन इस बारे में सोचने का समय कहां है? उन्होंने बताया कि मेरे और सायरा के परिवार के करीब 30 बच्चे हैं। वे अक्सर उनके साथ शरारतों में व्यस्त रहते हैं। उन्होंने बताया था कि वो सभी बच्चे इतने ज्यादा ऊर्जा से भरे हुए हैं कि मैं उन्हें संभालते-संभालते थक जाता हूं।’
मुख्य फिल्में
दिलीप कुमार ने सिनेमा जगत को मेला, तराना, दाग, देवदास, नया दौर, पैगाम, मुगल-ए-आजम जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। आज भले ही दिलीप कुमार हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनका नाम और अभिनय लोगों के बीच हमेशा जिंदा रहेगा।