आखिर क्या है RCEP,पीएम मोदी थाइलैंड पहुंचने के बावजूद क्यों इसमें शामिल होने से कर दिया इनकार

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पीएम मोदी थाईलैंड में है। पीएम मोदी के इस यात्रा में उन्हें बीते दिन यानि की 4 नवंबर को बैंकॉक में हो रहे RCEP यानि की (रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकॉनॉमिक पार्टनरशिप) शिखर सम्मेलन में भाग लेना था पर अफसोस कि पीएम मोदी ने इसमें भाग लेने से मना कर दिया। इस बात की जानकारी पीएम मोदी ने RCEP शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान ही समझौते में शामिल नहीं होने की घोषणा की। इस सम्मेलन में दुनिया के कई नेता उपस्थित थे।

जानकारी के लिए बता दें कि RCEP समझौता 10 आसियान देशों (ब्रुनेई, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, विएतनाम) और इसी क्षेत्र के 6 और बड़े देशों- भारत,ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है इसके जरिए इन देशों के बीच बिना किसी शुल्क या फिर कम शुल्क पर व्यापार होना संभव हो पाएगा। भारत में अन्य लोगों ने इसे लेकर कई तरह की प्रतिक्रिया मिलती दिख रही है। वहीं आपको बताते चलें कि विपक्षी पार्टियां, किसान व मजदूर संगठन इसका विरोध कर रहे हैं, तो वहीं भारतीय उद्योगों का संघ- कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) चाहता है कि ये डील हो।

क्या है RCEP

अब कई लोगों के मन में ये आ रहा है कि क्या है RCEP? तो सरल भाषा में समझे कि यह एक तरह का फ्री ट्रेड समझौता है, जो कि 16 देशों के बीच होने वाला है। इसमें 10 आसियान देशों के साथ ही साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया शामिल हैं। हालांकि अभी तक यह फाइनल नहीं हुआ है।

वैसे जानकारी के लिए बता दें कि यह मुद्दा आज का नहीं बल्कि बेहद ही पूराना है, जी हां साल 2012 से इस बारे में बात चल रही है और 2016 में इस मामले पर तेजी से चर्चा होनी शुरू हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह समझौता पास हो गया तो अब तक का यह दुनिया का सबसे बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होगा। जी हां इतना ही नहीं दुनिया की क़रीब 50 फीसदी जनसंख्या इन्हीं 16 देशों में रहती है, जो मिलकर दुनिया की कुल GDP में क़रीब 30 फीसदी का हिस्सा रखती है। हालांकि इस डील में अर्थव्यवस्था का लगभग हर पहलू शामिल है। जैसे- उत्पाद, सर्विस सेक्टर, इन्वेस्टमेंट, तकनीकी हिस्सेदारी, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, प्रतिस्पर्धा और विवाद का निपटारा।

लेकिन अब इन सभी बातों को जानने के बाद एक बड़ा सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी इसमें शामिल होने से मना क्यों कर दिया ? तो इस बात का जवाब देते हुए अमित शाह ने बताया कि ‘भारत के आरसीईपी में शामिल न होने का फैसला प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व और सभी परिस्थितियों में राष्ट्रीय हित सुनिश्चित करने का संकल्प दिखाता है। इससे किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग, डेयरी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, फार्मास्युटिकल, स्टील और कैमिकल इंडस्ट्रीज को समर्थन मिलेगा’।

वहीं इसके अलावा अगर कुछ दिन पहले SBI ने एक रिपोर्ट जारी किया था जिसमें बताया गया था कि RCEP डील से भारत पर बुरा असर पड़ेगा। रेलू उत्पाद बुरी तरह से प्रभावित होंगे। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि जिन 15 देशों से समझौता हो रहा है, उनमें से 11 देशों से बीते सालों में भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटे में रहा है। आसियान के देशों से फ्री ट्रेड का भी अनुभव भारत के लिए कड़वा ही रहा है।

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