हर इंसान अपनी जिंदगी में सफलता की ऊचाईयों तक पहुंचना चाहता है। लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उसे कड़े संघर्ष से गुजरना पड़ता है। आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे खास जिसने कड़ी मेहनत से अपनी जिंदगी के रुख बदल दिए। बता दें कि हम आज इस संघर्ष की इस कड़ी में महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के जोशी सांघवी गांव की रहने वाली वसीमा शेख की कड़े संघर्ष से रु-ब-रु करवाएंगे।
कड़ी मेहनत से मिला सफल मुकाम
साल 2020 में महाराष्ट्र सिविल सेवा परीक्षा को पास कर वसीमा ने डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट हासिल की। इस मुकाम पर पहुंचना वसीमा के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। दरअसल, जब वह पढ़ाई कर रही थीं तो उस दौरान उन्हें बड़ी दिक्कतों से गुजरना पड़ा। हालांकि वसीमा को इस दौरान अपने परिवार का पूरा साथ मिला। वह वसीमा को काम के अलावा लगातार पढ़ाई पर जोर देने को कहते थे। फिर क्या था वसीमा ने अपने दम पर कड़ी मेहनत कर महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा में टॉप किया। उन्होंने महिला टॉपर्स के लिस्ट में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। उनकी कड़ी मेहनत का उन्हें शानदार नजीता मिला।
परिवार ने वसीमा का दिया साथ
वसीमा शेख का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना बचपन आर्थिक तंगी में गुजारा। वसीमा 4 बहनों और 2 भाइयों में से चौथे नंबर पर हैं। उन्हें इस गरीबी का सामना इस कारण भी करना पड़ा, क्योंकि उनके पिताजी मानसिक रूप से ठीक नहीं थे। इस हालत में घर का पूरा खर्च और जिम्मेदारी वसीमा शेख की मां और उनके भाइयों के कंधों पर थी। उनकी मां घर-घर जाकर चूड़ियां भेजती थी।
वसीमा का परिवार ना सिर्फ मेहनत कर घर चला रहे थे, बल्कि उनकी पूरी कोशिश थी कि उनकी बेटी पढ़-लिखकर एक सफल मुकाम हासिल करे। उनके घर का गुजारा जैसे-तैसे चल रहा था, परंतु घरवालों ने वसीमा की पढ़ाई का पूरा ख्याल रखा। वसीमा शेख ने गांव से शुरुआती पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 12वीं के बाद महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी से बीए में एडमिशन लिया था और फिर प्राइमरी टीचर के लिए एक डिप्लोमा बीपीएड किया। इसके बाद जब वसीमा शेख की ग्रेजुएशन पूरी हुई तो उन्होंने साल 2016 में एमपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। वो वसीमा की जिंदगी की सबसे बड़ी परीक्षा थी।
भाई ने अपने सपने की दी कुर्बानी
वसीमा की जिंदगी साल 2018 में पूरी तरह से बदल गई। दरअसल, सेल्स टैक्स इंस्पेक्टर की पोस्ट पर वसीमा को सिलेक्ट किया गया। लेकिन अभी उनके सपने को उड़ान मिलनी बाकि थी। वसीमा का सपना था कि वो डिप्टी कलेक्टर बने। मगर उस दौरान उनका भाई भी अफसर बनना चाहता था परंतु आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण वसीमा के भाई ने अपने सपने को कुर्बान कर दिया। असल, में वसीमा के भाई ने अपना सपना छोड़ बहन को पढ़ाने के लिए रिक्शा चलाया। वसीमा ने भी खूब मेहनत की और घरवालों की उम्मीदों पर खरी उतरीं।