भारत में इस जगह पर है नागलोक, यहां हजारों सांप खजाने की करते हैं रक्षा

हमारे इस धरती पर कई सारे जीव जन्‍तु हैं लेकिन उनमें से सबसे खतरनाक जीव सांप है जी हां तभी तो सांप का नाम सुनते ही अच्‍छे अच्‍छों की हालत खराब होती है। वैसे आपने कई बार बचपन में सांप या फिर नागराज की कई सारी कहानियां सुनी होंगी आपके दिमाग में एक सवाल ये भी आता होगा कि आखिर सांपों की उत्‍पत्ति कैसे हुई होगी? इतना ही नहीं ये एक ऐसा रोचक विषय है जिससे जुड़ी कई सारी फिल्में और धारावाहिक बन चुके हैं। कई बार दिखाया जाता है कि नागराज नागमणी की रक्षा करते हैं तो वहीं कई बार इच्छाधारी नाग या नागिन के बारे में भी कई कहानियां दिखाई जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे तथ्‍य के बारे में बताने जा रहे हैं ि‍जसके बारे में बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे।

ये बात तो आप सभी जानते ही होंगे कि हिंदु धर्म में नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा की जाती है। वहीं ये भी बता दें कि जब भी अगर हम किसी से नागलोक की बात करते हैं तो वो इन सभी बातों पर यकीन नहीं करता है और मजाक में ले लेता है लेकिन आज हम आपको एक सच्ची बात बताने जा रहे हैं। दरअसल नागलोक सच में है जी हां बता दें कि भारत के छत्तिसगढ़ राज्य में स्थित जशपुर जिले में हकीकत का नागलोग बसता है इतना ही नहीं लोग इस इलाके में जाने से भी बहुत ज्यादा डरते हैं और यहां कुछ देर ठहरने की बात पर ही लोगों की रूह कांप सी जाती है।

इस इलाके में सांपों की बेहद जहरीली प्रजाती रहती है और यहां की चर्चा दूर-दूर तक होती है यही कारण है कि इस इलाके में जाने से पहले ही लोग हिदायत देते हैं कि पूरी सावधानी रखो, नहीं तो कुछ भी हो सकता है। यहां आपको हर कदम पर सांपों का झुंड मिल जाएगा। इतना ही नहीं ये भी माना जाता है कि यहां पर पाई जाने वाली ईव नदी में सोने का भंडार है और जिसके आस-पास हजारों सांपों का पहरा हर समय रहता है।

इसके बारे में पौराणिक कहानियों में चर्चा की है कि यहां कई हजार साल पहले नागों के देवता ने हजारों टन सोना छुपाया था और उसके पहले की जिम्मेदारी इन सांपो को दी गई है जिन्हें आज भी सांप निभा रहे हैं। वैसे ये बात भी सच है कि पुरानी कहानियों पर आज की युवा पीढि़ कम ही भरोसा करती है यही कारण है कि यहां नाग देवता का होना और खजाने की बात को मानने से कई बड़े वैज्ञानिकों ने भी इंकार किया है।

यहां पर कोबरा से लेकर कई दूसरी जहरीली प्रजाति के सांप उपस्थित हैं और वे नदी के आस पास ही रहते हैं। यह इलाका ऐसा है जिसकी जलवायु और मिट्टी सांपों के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। सांप इस इलाके में तभी से रह रहे हैं जब से आदिवासी रहते आए हैं। नागलोक और उससे लगे इलाके में सांपों की 70 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें कोबरा की चार और करैत की तीन अत्यंत विषैली प्रजातियां भी शामिल हैं।

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