यही वो स्थान है जहाँ पर धरती में समा गयी थी माता सीता ,आज भी पाताल लोक में बसे है भारत देश के ये 12 गांव , जाने कैसी है यहाँ के लोगो की जिंदगी

आज हमारे बीच दुनिया में अजूबों की कोई कमी नहीं है और ऐसे में अक्सर ही हमारे बीच कई ऐसी अजीबोगरीब चीजें आती रहती हैं जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं होती| ऐसे में अपनी आज की इस पोस्ट के जरिए हम आपको हमारे भारत के एक ऐसे ही अजूबे से रूबरू कराने जा रहे हैं जिस बारे में जानकर पहली बार में आप भी दंग रह जाएंगे|. दरअसल, अपनी इस पोस्ट में हम भारत के एक ऐसे अजूबे के बारे में बात करने जा रहे हैं जहां अभी तक अधिकतर लोगों का ध्यान भी नहीं पहुंचा है लेकिन वाकई में यह जानकारी बेहद दिलचस्प है…

अपनी आज की इस पोस्ट में हम आपको भारत के ऐसे 12 गाँवों के बारे में बताने जा रहे हैं जो धरातल से तकरीबन तीन हजार मीटर की गहराई पर मौजूद हैं और और यहां पर प्रकृति के कई बड़े राज देखने को मिलते हैं| जानकारी के लिए बता दें, यहां पर मौजूद पेड़ पौधे इतने बड़े और घने हो चुके हैं की सूर्य की किरणें भी काफी मुश्किल से और थोड़े ही वक्त के लिए जमीन तक पहुंच पाती हैं|

कुछ ग्रंथों और कथाओं के अनुसार ऐसा बताया जाता है यह वही जगह है जहां पर माता सीता धरती में समा गई थी| भाई दूसरी तरफ कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है की रामायण काल के दौरान जब अहिरावण लक्ष्मण को उठाकर पातालपुरी में ले गया था तब श्रीराम को इसी रास्ते से भगवान हनुमान पाताल में ले गए थे और वहां से उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण की जान बचा कर बाहर आए थे|

इन गांवों में है औषधियों का खजाना

इन गाँवों की बात करें तो यह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है  और मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस जगह को पातालकोट के नाम से जाना जाता है| पातालकोट नाम के यह गांव सतपुड़ा की पहाड़ियों में मौजूद है और दिलचस्प बात यह है इन गांवों में कई सारी औषधियों और जड़ी बूटियों का खजाना मौजूद है| ऐसा बताया जाता है यहां पर भूरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं, जो अधिकतर झोपड़ियों में रहते हैं|

बाहरी दुनिया से नहीं है यहां के लोगों का वास्ता

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है की यह गांव धरातल से तकरीबन 3000 मीटर की गहराई पर मौजूद है, ऐसे में पातालकोट के 12 गांव के निवासी लोग बाहर की दुनिया से अधिक वास्ता नहीं रखते हैं| अपने खाने-पीने और अन्य जरूरत की चीजों को यह गांव में ही पैदा कर लेते हैं| यह खाना बनाने के लिए केवल नमक खरीदने के लिए गांव से बाहर आते हैं| पर क्योंकि इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे हुए हैं, ऐसे में अब पातालकोट के कुछ गांवों को सड़क से जोड़ने का काम किया गया है|

अभी बीते कुछ वक्त पहले की बात करें तो हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोरोनावायरस का कहर देखने को मिला था| लेकिन पातालकोट नामक इस गांव में कोरोनावायरस का एक भी केस नहीं मिला क्योंकि एक गांव में रहने वाले लोगों का संपर्क बाहरी दुनिया से ना के बराबर है, जिस वजह से कोरोना संक्रमण के दौरान यह बिल्कुल महफूज थे|

 

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