दिल्ली के निर्भया केस के बारे में तो हम सभी जानते हैं और निर्भया केस की चारों दोषियों को 7 वर्ष के लंबे कारावास के बाद पिछले साल 12 मार्च 2020 की सुबह 5:30 बजे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी की सजा सुनाई गई थी | इस केस में इन दोषियों के वकील ने उन्हें बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किया था परंतु निर्भया का केस लड़ रही वकील सीमा कुशवाहा ने पूरी शिद्दत से निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए इस लड़ाई को अंत तक लड़ा था और इंसाफ की लड़ाई लड़ रही सीमा कुशवाहा को इस केस में जीत हासिल हुई और निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की सजा हुई थी |
वही साल 2012 से लेकर साल 2020 तक निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए सीमा कुशवाहा ने हर संभव प्रयास किए और उनके इन्हीं प्रयासों का नतीजा है की आज निर्भया को इंसाफ मिला है| आपको बता दें निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए सीमा कुशवाहा ने निर्भया के परिवार वालों से बिना कोई पैसा लिए इस इंसाफ की लड़ाई को लड़ा था और निर्भया के साथ हुई घटना के बाद सीमा कुशवाहा ने खुद इस बात की घोषणा की थी कि वह निर्भया का केस लड़ेंगी और निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की सजा जरूर दिलायेंगी और सीमा कुशवाहा ने जो फैसला किया था उन्होंने पूरा करके दिखाया और आज निर्भया के चारों दोषी भी इस दुनिया में नहीं है|
आपको बता दें यूपी की रहने वाली सीमा कुशवाहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की है और आज सीमा कुशवाहा अपने करियर में काफी ज्यादा सफलता हासिल कर चुकी है| खबरों के मुताबिक सीमा कुशवाहा का सपना वकील बनने का नहीं था बल्कि वह एक आईएएस ऑफिसर बनना चाहती थी परंतु जब साल 2012 में निर्भया के साथ ऐसी घटना हुई उसी वक्त सीमा अदालत ने ट्रेनिंग कर रही थी | सीमा कुशवाहा ने निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए उसी वक्त यह संकल्प किया था कि वह बिना पैसे के इस केस को लड़ेंगी और निर्भया की सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा जरूर दिलाएंगी|
सीमा ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वो खुद एक ऐसी जगह से ताल्लुक रखती है जहां पर लड़कियों को ज्यादा आजादी नहीं दी जाती परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प की वजह से वकील बनने का सफर तय किया और आज इतना बड़ा मुकाम हासिल कर सकती है| सीमा कुशवाहा के मुताबिक निर्भया का केस उनके वकालत के कैरियर का सबसे पहला केस था और इस इंसाफ की लड़ाई को सीमा कुशवाहा ने पूरे जज्बे के साथ लड़ा और अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत हुई और निर्भया को इंसाफ मिल सका|
बता दे जब सीमा कुशवाहा निर्भया का यह केस लड़ रही थी उस वक्त वह ना सिर्फ अदालत में बल्कि अदालत के बाहर भी हमेशा निर्भया के माता-पिता के साथ बिना डरे उनके साथ खड़ी रही इसके साथ ही सीमा कुशवाहा निर्भया केस के बाद विरोध प्रदर्शन मैं भी शामिल हुई थी | सीमा कुशवाहा के मुताबिक निर्भया का केस लड़ना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी और सीमा कुशवाहा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस केस के दौरान उनका निर्भया की मां के साथ एक भावनात्मक संबंध जुड़ गया था और यही वजह है कि जब निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा हुई तब निर्भया की मां ने सबसे पहले सीमा कुशवाहा को धन्यवाद दिया था और उन्होंने यह कहा था कि यदि सीमा उनके साथ नहीं होती शायद उनकी बेटी को कभी इंसाफ नहीं मिलता|
गौरतलब है कि 16 दिसंबर साल 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली में एक विभत्स वारदात को अंजाम दिया गया था | दरअसल दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने मिलकर चलती बस में एक पैरामेडिकल की छात्रा के साथ दुष्कर्म किया था और इस मामले में इन दरिंदों ने छात्रा के साथ दरिंदगी की सभी हदें पार कर दी थी और इस दौरान बस में छात्रा का दोस्त भी मौजूद था और उसके साथ भी इन लोगों ने काफी मारपीट की थी और फिर युवती को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया था|
इसके बाद पीड़िता को दिल्ली के सफदर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया लेकिन यहां पर पीड़िता की हालत और भी ज्यादा गंभीर होने लगी जिसके बाद उसे इलाज के लिए सिंगापुर के अस्पताल में रेफर कर दिया गया और यहां पर इलाज के दौरान ही 29 दिसंबर साल 2012 को जिंदगी की जंग हारने के बाद इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गई थी |