नासा के वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता, मंगल ग्रह पर मिली…

अंतरिक्ष की दुनिया में अपनी साख बनाएं हुए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक और सफलता का दावा पेश किया है। इस बार नासा के वैज्ञानिकों द्वारा मंगल ग्रह पर उस गैस को खोज निकाला गया है जिसके कारण हम पृथ्वी पर सांस लेते हैं। सूचना के अनुसार इस खोज का श्रेय नासा द्वारा भेजे गए क्यूरियोसिटी रोवर को दिया जा रहा है।आइये जानते है इस विषय में पूरी जानकारी।

क्या है क्यूरियोसिटी रोवर

असल में नासा द्वारा एक 2011 में एक रोवर पृथ्वी से मंगल पर भेजा गया था, जिसे क्यूरियोसिटी रोवर नाम दिया गया था। यह रोवर मंगल पर 6 अगस्त 2012 को लैंड हुआ था। तभी से यह रोवर लगातार अपना काम कर रहा है और नासा को मंगल की तस्वीरे जारी करता रहता है। इस रोवर ने अभी तक 20 किलोमीटर की दूरी तय की है और अभी यह गेल क्रेटर में है।

लैब ने लिया गैसों का जायजा

क्यूरियोसिटी रोवर की खास बात यह है कि इसका आकार काफी बड़ा है यह इतना बड़ा है कि इसमे एक प्रयोगशाला भी मौजूद है। यह 10 फीट लंबा, 9 फीट चौड़ा और 7 फीट ऊंचा है. अपने मिशन पर काम करते हुए इस रोवर ने मंगल की मिट्टी के 70 से ज्यादा सैंपल जांचे हैं और इसी लैब ने गैसों का जायजा भी लिया। सैम्पल क्लेक्शन से लेकर जाँच तक का सारा काम यह रोवर अकेले ही करने में सक्षम है।

ग्रह पर गैसों की मात्रा

रोवर ने मंगल पर गैसों का जायजा लेते हुए इस बात की महत्वपूर्ण जानकारी साझा की कि कौन सी गैस कितनी मात्रा में वहां मौजूद है। सैम केमिस्ट्री लैब द्वारा गेल क्रेटर में मौजूद गैसों का अध्ययन करते हुए पाया गया कि वहां पर 95% कार्बन डाईऑक्साइड, 2.6% नाइट्रोजन, 1.9% आर्गन, 0.16% ऑक्सीजन और 0.06% कार्बन मोनोऑक्साइड गैस मौजूद है।

मंगल पर ऑक्सीजन

साल 2012 से 2017 तक क्यूरियोसिटी रोवर ने वहां गैसों की शोध कि है, जिससे यह पता चल पाया है कि मौसम के अनुसार वहां गैसों की मात्रा में बदलाव होता रहता है। महत्वपूर्ण बात सामने यह आई की पृथ्वी के अनुसार मंगल ग्रह पर वसंत और गर्मी में ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा मिली तो वहीं दूसरी ओर ठंड में ऑक्सीजन गैस की मात्रा में कमी पाई गई है।

मिशन में भारत का भी योगदान

इस महत्वपूर्ण मिशन में भारतीय मूल के वैज्ञानिको का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मिशिगन यूनिवर्सटी के क्लाइमेट और स्पेस साइंस के प्रोफेसर सुशील अत्रेय भी क्यूरियोसिटी मिशन से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि हमने जब गेल क्रेटर के ऊपर पहली बार ऑक्सीजन के बादल देखे तो हैरान रह गए. इसने सभी को हैरत में डाल दिया था। यह अद्भुत और ऐतिहासिक खोज है।

मंगल पर ऑक्सीजन कब होगी खत्म?

इस मिशन के वैज्ञानिक इस बात की खोज में अभी भी लगे हुए है कि क्या मंगल पर ऑक्सीजन कुछ समय के लिए है या फिर यह हमेशा बनी रहेगी। प्रोफेसर सुशील अत्रेय ने यह भी बताया कि “अभी नासा के वैज्ञानिक यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिरकार मंगल ग्रह के गेल क्रेटर में ऑक्सीजन की मात्रा में बदलाव क्यों हो रहा है? इसके पीछे के क्या कारण है हालांकि मंगल पर मीथेन और ऑक्सीजन में लगातार केमिकल रिएक्शन होता है! यह शुरुआती नतीजे है ,हमें और शोध की आवश्यकता है।” जब तक वैज्ञानिकों की खोज पूरी नही हमे भी यह जानने के लिए इन्तजार करना होगा की आखिर मंगल में ऑक्सीजन है तो यह कब तक के लिए है।

विदेश में भी इन सितारों ने बनाया है खुबसूरत आशियाना फिल्मो में कदम रखने वाली है SRK की स्टाइलिश बेटी सुहाना खान कभी कॉफ़ी शॉप में काम करने वाली श्रद्धा आज है करोड़ों की मालकिन परियो की तरह खुबसूरत है टाइगर की बहन दादा साहेब फाल्के अवार्ड – जाने किसने जीता कौन सा अवार्ड ‘अनुपमा’ की बा वेस्टर्न लुक में दिखती है बेहद स्टाइलिश बिना हिचकिचाहट के प्रेगनेंसी में बिंदास होकर एक्ट्रेस ने कराया फोटोशूट फिल्मो के साथ बिज़नस में भी सुपरहिट है ये हसीनाएं स्ट्रैप्लेस ब्लाउज-पर्पल साड़ी में रुबीना ने दिखाया ग्लैमरस अवतार नेहा कक्कड़ ने सुर्ख लाल साड़ी में दिखाया स्टनिंग अंदाज
विदेश में भी इन सितारों ने बनाया है खुबसूरत आशियाना फिल्मो में कदम रखने वाली है SRK की स्टाइलिश बेटी सुहाना खान कभी कॉफ़ी शॉप में काम करने वाली श्रद्धा आज है करोड़ों की मालकिन परियो की तरह खुबसूरत है टाइगर की बहन दादा साहेब फाल्के अवार्ड – जाने किसने जीता कौन सा अवार्ड