दोस्तों इस साल 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी आ रही हैं. ऐसे में बाजार में अभी से इसकी रोनक दिखाई देने लगी हैं. गणेश चतुर्थी का त्यौहार आम तौर पर दस दिनों तक चलता हैं. हालाँकि कहीं कहीं इन्हें 3 दिन में भी विसर्जित करने की परंपरा हैं. जब भी हर साल गणेश चतुर्थी आती हैं तो हम बाजार से अपने पसंदीदा गणेश जी ले आते हैं. इस साल बाजार में इको फ्रेंडली गणेशा की भी धूम मची हुई हैं. जब भी आप गणेश जी को लाते हैं तो उसकी सही नियम से स्थापना भी करनी होती हैं. यदि आप गणेश जी की स्थापना सही तरीके से नहीं करेंगे तो आपको मन चाहा फल भी प्राप्त नहीं होगा.
कई लोग घर में बड़े शौक से गणेश जी ले तो आते हैं लेकिन जब उनकी स्थापना की बात आती हैं तो वे ज्यादा सोचते नहीं हैं और उन्हें घर में जहाँ भी जगह मिलती हैं वे उन्हें वहां स्थापित कर देते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गलत स्थान पर विराजित किए गए गणेश जी की पूजा पाठ का भी कोई फायदा नहीं मिलता हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको वास्तु के अनुसार गणेश जी को स्थापित करने की सही दिशा बताने जा रहे हैं.
इस दिशा में गणेश जी की स्थापना करना होता हैं शुभ
वास्तु के अनुसार गणेश जी को इस प्रकार स्थापित करना चाहिए कि उनका मुंह हमेशा पश्चिम दिशा में ही हो. इस तरह जब आप गणेश जी की आराधना करोगे तो आपका मुंह पूर्व दिशा में होगा. जैसा कि आप जानते हैं पूर्व दिशा सूर्यदेव की दिशा होती हैं. सूर्य से निकले प्रकाश में कई पॉजिटिव एनर्जी होती हैं. ये पॉजिटिव एनर्जी जब आपके ऊपर आती हैं और आप पूजा करते हो तो इसका फल जल्दी मिलता हैं.
यदि आप किसी कारणवश इस दिशा में गणेश जी को नहीं स्थापित कर सकते हैं तो अगली शुभ दिशा उत्तर दिशा होती हैं. इस दिशा में भी आप गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं. हालाँकि इन दो दिशाओं के अतिरिक्त किसी और दिशा में गणेश जी को स्थापित नहीं करना चाहिए.
गणेश स्थापना के समय इन बातों का रखे ध्यान
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