हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है और साथ भी साथ विधि-विधान भी खास महत्वपूर्ण समझे जाते हैं। आपके इष्ट देव कोई भी हों, अगर उनकी पूजा में कहीं भी कोताही बरती गई हो, विधि-विधान का ध्यान ना रखा गया हो तो उसका पूर्ण फल कभी प्राप्त नहीं होता।सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है, सभी की अराधना करने का अलग तरीका भी है, पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री भी अलग-अलग ही है। लेकिन कुछ ऐसी सामग्रियां भी हैं, जिन्हें अधिकांशत: वैदिक पूजा में उपयोग किया ही जाता है। ऐसी ही एक सामग्री है चावल जिसे अक्षत भी कहा जाता है।
कभी आपने सोचा है चावल को पूजा का अनिवार्य भाग क्यों माना जाता है? इसके अलावा जब तिलक किया जाता है तो उसमें भी अक्षत का प्रयोग क्यों किया जाता है? इसका जवाब हम आपको दिए देते हैं, चावल को अक्षत कहा जाता है, जिसका अर्थ है जो टूटा ना हो। दरअसल अक्षत यानि चावल, पूर्णत: का प्रतीक माना गया है, साथ ही साथ अपने सफेद रंग की वजह से इसे शांति से बेहे जोड़ा गया है। चावल को अन्न में सबसे श्रेष्ठ भी माना गया है, इसे ईश्वर को अर्पित करते समय हमारे मन में यह भावना बनी रहनी चाहिए कि हमें जो भी प्राप्त हुआ है वह सिर्फ ईश्वर की कृपा ही है।
ज्योतिष शास्त्र में गरीबी दूर करने के लिए कई कारगर उपाय बताए गए हैं. इन उपायों को अपनाने से सभी प्रकार की ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं. यदि किसी वजह से धन प्राप्त करने में कोई समस्या आ रही हो तो इन उपायों से वे सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. यदि आप भी किसी ग्रह बाधा से पीडि़त हैं और आपके पर्स में अधिक समय तक पैसा नहीं टिकता तो यह उपाय अवश्य करें. पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है. किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं. अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती|शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में चावल का काफी महत्व रहता है. देवी-देवता को तो इसे समर्पित किया जाता है साथ ही किसी व्यक्ति को जब तिलक लगाया जाता है तब भी अक्षत का उपयोग किया जाता है. अक्षत का उपयोग कर आप घर की दरिद्रता दूर कर सकते हैं. जानिये कैसे…