घर के मुख्य द्वार पर आखिर क्यों बनाया जाता है स्वास्तिक, छिपा है बेहद ही बड़ा रहस्य

वैसे आपको बता दें कि घर के मुख्य द्वार को खुशियों का प्रवेश द्वार माना जाता है। यहीं से घर में सम्पन्नता और समृद्धि आती है। इसी स्थान से घर में रहने वाले लोगों का भाग्य निर्धारित होता है। अगर आपने गौर किया होगा तो हिंदू धर्म में कई घर ऐसे दिख जाएंगे जहां मुख्य द्वार पर कुछ धार्मिक चिन्ह बनाए जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय संस्कृति में प्रतीकों का बड़ा महत्व है, कहा जाता है कि ये प्रतीक अपने भीतर अनेक रहस्यों को समेटे हुए होते हैं। अब इसके बारे में गहराई से काफी कम लोगों को ही पता होता है। वैसे आज हम विशेष रूप से एक ऐसे प्रतीक की बात करेंगे जो कि हर घर में आपको दिख जाएंगे। जी हां दअरसल हम बात कर रहे हैं ‘ स्वास्तिक ‘ की जिसका भारतीय संस्कृति में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है, इसको सूर्य का प्रतीक माना जाता है। वैसे तो स्वास्तिक का सामान्य अर्थ आर्शीवाद देने वाला, या फिर मंगल या पुण्य माना जाता है, और यह शुभ या मांगलिक कार्यो के दौरान ही बनाया जाता है।

अगर स्वास्तिक के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो यह ‘सु + अस’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है ऐसा अस्तित्व, जो शुभ भावना से सराबोर हो, कल्याणकारी हो, मंगलमय हो। यही वजह है कि स्वास्तिक का निर्माण सत्ता और उसके प्रतीक के रूप में निरूपित किया जाता है। वैसे यह भी बता दें कि श्री गणेश जी की प्रतिमा की भी स्वास्तिक चिन्ह से संगति है। श्री गणेश जी के सूँड़, हाथ, पैर, सिर आदि अंग इस तरह से चित्रित होते हैं कि यह स्वास्तिक की चार भुजाओं के रूप में प्रतीत होते हैं। इतना ही नहीं इसके अलावा ‘ॐ’ को भी स्वास्तिक का प्रतीक माना जाता है। यानि की हर तरफ से देखा जाए तो स्वास्तिक ऐसा प्रतीक है, जो सर्वोपरि भी है और शुभ एवं मंगल दायक भी है।

यही कारण है कि हिंदू घरों के सामने स्वास्तिक बना हुआ देखने को मिलता है। पुराने समय से ही हमारे यहाँ कोई भी श्रेष्ठ कार्य करने से पूर्व मंगलाचरण लिखने की परंपरा थी। स्वस्तिक चिन्ह के इस्तेमाल से घर का वास्तु दोष दूर हो सकता है। ऐसी मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाकर शुभ-लाभ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। स्वस्तिक के साथ ही शुभ-लाभ का चिह्न भी धनात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। हिन्दू धर्म के अलावा बौद्ध और जैन धर्म में भी इसका महत्व है।

घर के सामने स्वास्तिक बनाने के पीछे धार्मिक व ज्योतिष महत्व भी छिपा हुआ है

शास्त्रों में माना जाता है कि स्वास्तिक जहाँ भी बनाया जाता है वहाँ की नकारात्मक उर्जा को नष्ट करता है। ब्रह्मांड में सकारात्मक उर्जा की धारा को अपनी ओर आकर्षित करने की इसमें अद्भभुत क्षमता है । इसी को आधार मानकर स्वास्तिक को अलग-अलग वस्तुओं से बनाया जाता है, जिनके अलग-अलग अर्थ होते हैं। जैसे सिंदूर या अष्टगंध से निर्मित स्वास्तिक शुभ और सात्विक माना जाता है। स्वास्तिक जहाँ भी होता है नकारात्मक उर्जा को नष्ट करता है और सकारात्मक उर्जा में वृद्धि करता है। इस तरह स्वास्तिक एक श्रेष्ठ एवं मंगलप्रद प्रतीक है, जो सदा कल्याणकारी होता है।

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