चंद्रयान-2 को लेकर लद्दाख सांसद ने कही ऐसी बात, जिसे सुनकर हर कोई हो जाएगा खुश

इसरो का महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 2 पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर की नजरें बनी हुई है। वहीं ISRO से लैंडर विक्रम के संपर्क टूट जाने पर पूरे देश दुनिया में जैसे गहमागहमी छा गई। हर कोई ISRO के वैज्ञानिकों की हौसला कम न हो इसके लिए कई सारी बातें कह रहा था। और इसी दौरान लद्दाख के सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया, जी हां दरअसल आपको बता दें कि लद्दाख सांसद ने कहा कि आज चाँद हमसे रूठा है तो क्या हम फिर चाँद को माना लेंगे। विक्रम अभी न पहुँचा तो क्या हम फिर पहुँचा देंगे। उन्होने आगे कहा कि हौसला मत तोड़ना मेरे साथियों ये चाँद तो क्या एक दिन हम पूरे ब्रह्मांड में अपना तिरंगा लहरा देंगे। लद्दाख के सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल हमेेशा से ही अपने बयानों के कारण चर्चा में बने रहते हैं।

इन बातों को सुनकर हर वैज्ञानिक का हौसला बुलंद हो गया और उन्होने ठान लिया की वो हार नहीं मानेंगे और अपने लक्ष्य को किसी भी शर्त पर पूरा करेंगे। हालांकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम की शनिवार करीब 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी पर बाद में इसका टाइम परिवर्तित करके 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया था। लैंडर बड़े आराम से नीचे आ रहा था लेकिन इसी बीच लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेकिंग चरण को पूरा भी किया और अच्छी रफ्तार से चांद की सतह की ओर आगे बढ़ रहा था पर एकाएक उसके बाद उसका संपर्क पृथ्वी से अलग हो गया।

ISRO के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने कहा “विक्रम लैंडर प्लाइनिंग के अनुरूप उतर रहा था और लक्ष्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसके प्रदर्शन में कोई गतिविधि अवरोध नही बनी। इतना ही नहीं इसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया फिर क्या था इसके बावजूद वैज्ञानिक काफी समय तक प्रयास करते रह गए। अभी भी आंकड़ों का विश्लेषण करते रहे। लेकिन लगता है कि देश व दुनिया के हौसले के कारण अब लगता है कि 978 करोड़ रुपये लागत वाले मिशन चंद्रयान 2 का अभी सबकुछ समाप्त नहीं हुआ है और हो सकता है कि ये सपना कुछ पूरा भी हो बस जरूरत है तो हौसले की। चंद्रयान- 2 के तीन भाग थे- ऑर्बिटर, रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम।

बताया जा रहा है कि इस समय ऑर्बिटर अभी भी चांद की सतह पर मौजूद है जो कि एक साल की मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई फ़ोटो लेकर ISRO को भेज सकता है। वह अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 KM से 127 KM की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहा है। इसका वजन 2379KM है। इसमें 8 पेलोड भी लगे हुए हैं। इस मिशन को लेकर इतनी चर्चाएं इसलिए हो रही थी क्योंकि चांत पर जीवन खोजना एक बहुत बड़ा लक्ष्य है और अगर इसरो का ये मिशन पूरा हो गया तो यह भारत के लिए काफी गर्व की बात होगी। वैसे अभी के अपडेट से उम्मीद एक बार फिर से जाग गई है, कि यह मिशन फेल नहीं बल्कि पूरा होगा। वहीं वैज्ञानिकों के साथ साथ भारतवासियों को भी एक बार फिर से उम्मीद जाग चुकी है।

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