इसरो ने चांद की सतह बनाने के लिए ली थी इन 2 गांव की मिट्टी, बचा लिए 25 करोड़

इसरो द्वारा चलाए जा रहे देश के सबसे खास मिशन चंद्रयान 2 की चर्चा हर तरफ हो रही थीं, कल चंद्रयान 2 अपने मिशन के काफी करीब था, जी हां लेकिन इसी बीच चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम के चांद पर लैंडिग से ठीक 2.1 किमी पहले ही इसरो के साथ उसका संपर्क टूट गया, हालांकि इसके साथ ही कई लोगों का चेहरा भी निराश हो गया। इस मिशन के लिए कई वैज्ञानिकों ने अपना सर्वस्व लगा दिया दिन रात एक कर दिया।

दरअसल जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरना था। ये तो वो बातें हैं जो अभी तक आप सुन रहे होंगे और आपमें से कुछ लोग जानते भी होंगे लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि चंद्रयान-2 का सफर तमिलनाडु के दो गांव जुड़ा हुआ था, जी हां इस गांव की मिट्टी के इस्तेमाल से ही निश्चित हुआ था कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग चांद पर सुरक्षित होगी या नहीं।

जिस गांव के बारे में हम बात कर रहे हैं उसका नाम है सीतमपोंडी और कुन्नामलाई। ये दो गांव के मिट्टी से ही वैज्ञानिकों ने यह तय किया था कि विक्रम चांद पर सेफ्टी से लैंड कर पाएगा कि नहीं क्योंकि इस गांव की मिट्टी चांद की सतह पर मौजूद मिट्टी से मिलती-जुलती है। इसरो ने चंद्रयान 2 को भेजने से पहले ही अपनी धरती पर खूब मेहनत की थी ताकि इस मिशन में किसी भी तरह की समस्या न आए पर अफसोस कि किस्मत को कुछ और ही मौजूद था।

वैज्ञानिकों ने चांद के साउथ पोल के अध्ययन के लिए यहां कि मिट्टी बेंगलुरु की प्रयोगशाला में परीक्षण किया था। जिसपर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को सफलतापूर्वक चांद पर उतारने के लिए चंद्रमा का आर्टिफिशियल चांद की सतह भी तैयार किया गया था और उसमें इसी गांव की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया था ताकि वो उस जगह को आर्टिफिशियली रूप दे सकें। चांद और धरती की मिट्टी अलग-अलग है लेकिन इस गांव की मिट्टी चांद की सतह से काफी मिलती जुलती है यही वजह है कि इस गांव के मिट्टी से चांद की नकली सतह बनाया गया।

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा की सतह क्रेटर, चट्टानों और धूल से ढकी है और इसकी मिट्टी पृथ्वी की तुलना में अलग बनावट होती है। लैंडर और रोवर के पहियों का परीक्षण उनकी उड़ान से पहले किया जाना था। जिसके बाद इसरो ने चांद की मिट्टी के लिए तमिलनाडु के सीतामपोंडी और कुन्नमलाई गांवों से “एनोरोथोसाइट” चट्टानों को लेने का फैसला किया। इतना ही नहीं “एनोरोथोसाइट” चट्टानों को जरूरत के अनुसार मिट्टी का आकार दे दिया गया और बेंगलुरु में ले जाकर एक आर्टिफिशियल चांद की परत तैयार की।

इसके अलावा यह भी बता दें कि चांद की आर्टिफिशियल सतह के साथ ही चंद्रमा पर सूर्य-प्रकाशीय वातावरण से मिलता-जुलता आर्टिफिशियल प्रकाश भी स्थापित किया गया था। इसके अलावा यह भी बताते चलें कि इस टेस्टिंग के लिए यानि की लैंडर और रोवर के परीक्षण करने के लिए, कर्नाटक में चित्रदुर्ग जिले के चल्लकेरे में आर्टिफिशियल चांद की सतह बनाई गई थी और वहीं इसका परीक्षण भी किया गया।

विदेश में भी इन सितारों ने बनाया है खुबसूरत आशियाना फिल्मो में कदम रखने वाली है SRK की स्टाइलिश बेटी सुहाना खान कभी कॉफ़ी शॉप में काम करने वाली श्रद्धा आज है करोड़ों की मालकिन परियो की तरह खुबसूरत है टाइगर की बहन दादा साहेब फाल्के अवार्ड – जाने किसने जीता कौन सा अवार्ड ‘अनुपमा’ की बा वेस्टर्न लुक में दिखती है बेहद स्टाइलिश बिना हिचकिचाहट के प्रेगनेंसी में बिंदास होकर एक्ट्रेस ने कराया फोटोशूट फिल्मो के साथ बिज़नस में भी सुपरहिट है ये हसीनाएं स्ट्रैप्लेस ब्लाउज-पर्पल साड़ी में रुबीना ने दिखाया ग्लैमरस अवतार नेहा कक्कड़ ने सुर्ख लाल साड़ी में दिखाया स्टनिंग अंदाज
विदेश में भी इन सितारों ने बनाया है खुबसूरत आशियाना फिल्मो में कदम रखने वाली है SRK की स्टाइलिश बेटी सुहाना खान कभी कॉफ़ी शॉप में काम करने वाली श्रद्धा आज है करोड़ों की मालकिन परियो की तरह खुबसूरत है टाइगर की बहन दादा साहेब फाल्के अवार्ड – जाने किसने जीता कौन सा अवार्ड