लॉकडाउन में ननद-भाभी की जोड़ी ने आचार का बिजनेस किया था शुरू, आज देश भर में छा गया मिथिला का स्वाद

बिहार अपने खान-पान, रहन-सहन और रीति-रिवाज की वजह से काफी अलग राज्य माना जाता है। जैसे ही बिहार का नाम लोग सुनते हैं तो सबसे पहले दिमाग में लिट्टी चोखा की छवि उभर में लगती है। जी हां, बिहार में ज्यादातर लोग लिट्टी चोखा खाना बहुत पसंद करते हैं। इसके अलावा बिहार के लोगों को भात (चावल) को अचार के साथ खाना भी उन्हें बहुत पसंद होता है। जब कोई बिहारी भाई जल्दीबाजी में होते हैं तो वह रोटी और अचार खाकर ही अपने काम को निकल जाते हैं।

वैसे देखा जाए तो बिहार में कई तरह के स्वाद मिलते हैं। बिहार में मिथिलांचल का भी बहुत महत्व माना जाता है। इसे मिथिलां भी कहा जाता है। अगर हम मिथिला के स्वाद की बात करें तो इसका कोई जवाब ही नहीं है। मिथिला में खाने के साथ-साथ आचार के स्वाद का भी बड़ा महत्व है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बिहार की ननद-भाभी की जोड़ी के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने मिथिलांचल के आचार के स्वाद को पूरे देश में पहचान दिला दी।

बीते साल लॉकडाउन में इन दो महिलाओं ने बिजनेस किया था शुरू

दरअसल हम आपको जीन दो महिलाओं के बारे में बता रहे हैं। वह बिहार के जिला दरभंगा की कल्पना (52) और उमा झा (51) हैं। मा प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं और कल्पना होममेकर हैं। यह दोनों ननद-भाभी हैं। यह दोनों रिश्ते में ननद-भाभी होने के पश्चात एक-दूसरे की बहुत अच्छी दोस्त भी हैं, जो उनकी सबसे बड़ी ताकत है। इन्होने ऑनलाइन आचार का व्यापार शुरू किया और उन्होंने अपने आचार के ब्रांड का नाम ‘झा जी आचार” (Jhaji Achar) रखा।

कल्पना और उमा ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान अपने घर से अचार और चटनी का बिजनेस शुरू किया था और आज उनकी वेबसाइट www.jhajistore.com पर अचार की कई शानदार वैरायटी मिलती हैं। इन दोनों ननद-भाभी की इस जोड़ी ने अक्टूबर 2020 में अचार का व्यापार शुरू करने के लिए आवेदन किया था और साल 2021 जून में झा जी स्टोर (Jhaji Store) ऑनलाइन व्यापार शुरू हो गया।

रोजाना मिल जाते हैं 100 ऑर्डर्स

बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली ननद-भाभी की यह जोड़ी अब कमाल कर रही हैं। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और आज देश भर में उनके प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ चुकी है। हर रोज करीब 100 ऑर्डर्स आ रहे हैं। इससे सालाना 8 से 10 लाख रुपए का वे बिजनेस कर रही हैं।

एक हिंदी अखबार को उमा ने बताया कि उनकी जिंदगी साधारण चल रही थी। ऐसे में उनके मन में बिजनेस का कोई आईडिया या बात नहीं आई थी। फिर अचानक आपदा का वह समय आ गया और लॉकडाउन की वजह से सब घर बंद हो गए थे।

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन लगने की वजह से कुछ रिश्तेदार भी उनके साथ आकर रहने लगे गए थे। वह समय बहुत कठिन था। वह पहले से ही अचार और चटनी बना रही थीं। उनके हाथ से बना अचार और चटनी का स्वाद आसपास के लोग, स्कूल की टीचर्स और उनके मित्र बहुत पसंद करते थे।

बढ़ने लगी रिश्तेदारी में अचार की डिमांड

उमा का ऐसा बताना है कि लॉकडाउन की वजह से घर में रहने के लिए मजबूर हो गए। उनके पास समय बहुत खाली था, जिसके बाद उन्होंने अचार और चटनी बनाना शुरू किया। जो रिश्तेदार आपदा में उनके साथ रहने के लिए आए हुए थे उनको भी अचार का स्वाद बहुत ज्यादा पसंद आया। धीरे-धीरे रिश्तेदारी में भी अचार की डिमांड बढ़ती चली गई और उमा और कल्पना दोनों ही अपने रिश्तेदारों को कोरियर के जरिए आचार दूर-दूर तक भेजने लगीं।

आपको बता दें कि उमा और कल्पना आचार बिहार के देसी तरीके से बनाती हैं। वह पहले तो धूप में सुखाकर अचार तैयार करती हैं। उमा के स्कूल के सभी टीचर्स उनसे आचार को मांग मांग कर खाते थे। ऐसे में दोनों ने मिलकर व्यापार करने की योजना बनाई और फिर दोनों की तैयारी शुरू हो गई।

बिना सिरका प्रिजर्वेटिव के बनाती हैं आचार

आपको बता दें कि बिना सिरका प्रिजर्वेटिव के उमा और कल्पना अचार बनाती हैं। इसको बनाने में 8 से 9 दिन तक का समय लग जाता है। वह एक बार में लगभग 1000 किलो अचार तैयार करती हैं। फिर इसके बाद 250 ग्राम की शीशियों में पैक होता है।

एक हिंदी अखबार से बातचीत के दौरान उमा ने यह बताया कि आचार बनाने और उसकी मार्केटिंग करने में काफी अंतर है। आचार्य के मार्केटिंग के लिए टेस्ट, वैरायटी, डिजाइन और लुक का विशेष महत्व होता है।

बता दें 6 महीने उमा और कल्पना में प्रोसेसिंग और क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान दिया और उसके बाद मार्केटिंग और ब्रांडिंग भी उन्होंने पूरा ध्यान दिया था। कल्पना और उमा ने कई लोगों को रोजगार दिया और इस बिजनेस से हर महीने अच्छा खासा मुनाफा वह कम आ रही हैं।

ननद-भाभी की इस जोड़ी ने झा जी स्टोर नाम से हमने सोशल मीडिया पर अपना पेज बनाया और इसके बाद व्हाट्सएप पर भी इन्होंने अपना ग्रुप बनाया और अपने प्रोडक्ट की फोटो शेयर की। इस तरह धीरे-धीरे उन्हें आर्डर मिलने लगे। इसके बाद अलग अलग वैरायटी के अचार वह डिब्बे में पैक करके सप्लाई करने लगीं। इस प्रकार उनका नेटवर्क सोशल मीडिया और लोगों के माउथ पब्लिसिटी के माध्यम से बढ़ता गया।

 

 

 

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