इस दुनिया में पति पत्नी का रिश्ता बेहद ही खास और मजबूत रिश्ता होता है जो की पति पत्नी के अटूट विश्वास और प्यार पर टिका होता है लेकिन कई बार पति पत्नी के बीच किन्हीं कारणों से दूरियां आ जाती है जिस वजह से यह खूबसूरत रिश्ता टूट जाता है लेकिन अगर पति पत्नी के बीच सच्चा प्यार और विश्वास हो तो यह रिश्ता सात जन्मो तक नहीं टूटता है और कुछ ऐसी ही कहानी है केरल के रहने वाले नारायणन नम्बीआर और उनकी पत्नी शारदा की और इस दंपत्ति ने प्यार और विश्वास की एक मिसाल पेश की है और इस समय इन दोनों की कहानी हर किसी का दिल जीत रही है| बता दे नारायणन नम्बीआर और उनकी पत्नी शारदा की प्रेम कहानी पढ़ने के बाद आप भी इस दंपत्ति पर प्यार लुटाने से खुद को रोक नहीं पाएंगे|
आपको बता दे नारायणन ने साल 1946 में शारदा के साथ शादी रचाई थी और उस वक्त भारत देश में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी |बता दे शादी के वक्त जहां नारायणन की उम्र 18 साल थी तो वहीं शारदा की उम्र महज 13 साल थी और इन दोनों की शादी को 1 साल भी पूरे नहीं हुए थे तभी शारदा के पति नारायणन को किसान विद्रोह में शामिल होना पड़ा था |वही नारायणन अपने पिता और गांव वालों के साथ उस जमींदार के घर के बाहर इकट्ठा हो गए जिस पर उन्हें हमला करना था लेकिन तभी इस बात की खबर अंग्रेजों को हो गई और उन्होंने मालाबार इंस्पेक्शन पुलिस को किसानों के घेराव के लिए भेज दिया था|
वही पुलिस के आने के बाद दोनों के बीच काफी समय तक लड़ाई चली जिसके बाद 5 किसान इस दुनिया को अलविदा कह गए और बाकी अन्य किसान घायल हो गए थे| इस लड़ाई के बाद पुलिस घर घर जाकर किसानों को ढूंढना शुरू किया और इसी बीच नारायणन और उनके पिता को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन दोनों को गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया था|वही जब शारदा को इस बारे में जानकारी हुई की किसान विद्रोह मामले में गिरफ्तार लोगों को पुलिस ने जान से मार दिया है तब शारदा काफी ज्यादा टूट गई थी और उनके लिए वह समय बेहद ही मुश्किल रहा था लेकिन शारदा को इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं है क्योंकि उन्हें ऐसा आभास हो रहा था कि उनके पति अभी भी जिंदा है और वह एक ना एक दिन उनसे जरूर मिलेंगे|
वही नारायणन के दुनिया छोड़ जाने की खबर जानने के बाद शारदा के परिवार वालों ने उनकी दूसरी शादी करवा दी | लेकिन शारदा को अपने प्यार पर पूरा विश्वास था कि उनके पति लौट कर जरूर आएंगे और शारदा का यह विश्वास उस वक्त सब साबित हुआ जब 72 सालों के बाद शारदा को उनके पति नारायणन से उनके भतीजे और भतीजी संध्या ने एक बार फिर से मिलवा दिया था | बता दे संध्या पेशे से एक लेखिका है और उन्होंने अपने उपन्यास में इस प्रेम कहानी का जिक्र भी किया है|
बता दे साल 2018 में संध्या ने नारायणन को उनकी पत्नी शारदा से मिलवाया था और जब 72 सालों के बाद संध्या और नारायणन एक दूसरे से मिले तब यह दोनों ही काफी ज्यादा भावुक हो गए और इनके लिए यह पल इनके जिंदगी का सबसे खास पल बन गया था और वही परिवार के सभी सदस्य भी इन दोनों का प्यार देखकर काफी ज्यादा भावुक हो गए और सबकी आंखें नम हो गई|वही सालों पत्नी शारदा से मिलकर नारायणन ने उनके सिर पर हाथ तेरा तो वही शारदा अपना सिर झुकाए बैठी रही और इस तरह से इस दंपत्ति के प्यार और विश्वास की जीत हुई और इनकी प्रेम कहानी लोगों के लिए एक मिसाल बन गयी है |