भगवान राम ने भी रखा था नवरात्र का व्रत, भगवान शिव ने बताया था इसका सही महत्व

नवरात्र का त्योहार आज से आरंभ हो चुका है ऐसे में हर कोई मां की भक्ति में लग गया है, सभी भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए तमाम प्रयास करते हैं। कहा जाता है कि नवरात्र के इन 9 दिनों में अगर माता किसी पर प्रसन्न हो गई तो उसका जीवन धन्य हो जाता है। आज हम आपको इस शारदीय नवरात्र से जुड़े कुछ तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका वर्णन हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है। दरअसल बताया जाता है कि इस शारदिय नवरात्र की पूजा की शुरूआत त्रेतायुग में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम चंद्र से हुई थी, इतना ही नहीं कहा तो यह भी जाता है कि श्रीराम की शक्ति-पूजा सम्पन्न होते ही जगदम्बा प्रकट हो गई थी, जिसके बाद शारदीय नवरात्र के व्रत का पारण करके दशमी के दिन श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर दी। कालान्तर में रावण का वध करके कार्तिक पक्ष की कृष्ण अमावस्या को श्रीरामचंद्र भगवती सीता को लेकर अयोध्या वापस लौट आए थे।

शास्त्र व पुराणों में बताया गया है कि जो भी माता के इन 9 रूपों का पूजा करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है, इसके अलावा ‘देवी भागवत’ में भी नवकन्याओं को नवदुर्गा का प्रत्यक्ष विग्रह बताया गया है। कहा गया है कि नवकुमारियां कन्याएं जो होती है उनको माता दुर्गा का जीवंत रूप माना जाता है, नव कुमारी कन्या की उम्र दो से दस वर्ष तक का माना गया है। दो वर्ष की कन्या ‘कुमारिका’ कहलाती है, जिसके पूजन करने से धन आयु बल व बुद्धि सभी चीजों की विशेष प्राप्ति है। हर उम्र की कन्या का अपना अलग रूप व महत्व भी बताया गया है।

विशेषरूप से अगर बात करें तीन वर्ष की कन्या की तो उन्हें ‘त्रिमूर्ति’ कहा जाता है, जिनके पूजन से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा चार वर्ष की कन्या को मां का ‘कल्याणी’रूप माना गया है जिनके पूजन से विवाहादि मंगल कार्य सम्पन्न होते है। पांच वर्ष की कन्या ’रोहिणी’ की पूजा से स्वास्थ्य लाभ होता है। छह वर्ष की कन्या ‘कालिका’ के पूजन से शत्रु का दमन होता है।

अब बात करते हैं आठ वर्ष की कन्या का जिनको ‘शांभवी’ का रूप माना गया है इनके पूजन से दुःख-दरिद्रता का नाश होता है। इतना ही नहीं नौ वर्ष की कन्या ‘दुर्गा’ पूजन से असाध्य रोगों का शमन और कठिन कार्य सिद्ध होते हैं। दस वर्ष की कन्या ‘सुभद्रा’ पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी भागवत में इन नौ कन्याओं को कुमारी नवदुर्गा की साक्षात प्रतिमूर्ति माना गया है। दस वर्ष से अधिक आयु की कन्या को कुमारी पूजा में सम्मिलित नहीं करना चाहिए। कन्या पूजन के बिना भगवती महाशक्ति कभी प्रसन्न नहीं होती।

वैसे कहा जाता है कि नवरात्र के इन 9 दिनों के बारे में परिचय भगवान शिव ने कराया है, मां पार्वती को इस त्योहार का वर्णन देते हुए भगवान शिव ने कहा कि- ‘नवशक्तिभिः संयुक्तं, नवरात्रं तदुच्यते। एकैवदेव देवेशि, नवधा परितिष्ठिता’ अर्थात नवरात्र नौ शक्तियों से संयुक्त है। नवरात्र के नौ दिनों में प्रतिदिन एक शक्ति की पूजा का विधान है। सृष्टि की संचालिका कही जाने वाली आदिशक्ति की नौ कलाएं (विभूतियां) नवदुर्गा कहलाती हैं।

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