नवरात्रि में अगर करते हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान, माता पूरी करेंगी हर इच्छा

हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा को एक बहुत ही पवित्र और सम्मानित स्थान दिया गया है और यही वजह है की माता रानी की पुजा और आराधना करने के लिए नियमानुसार वर्ष में दो बार नवरात्र का पर्व आता है। एक चैत्र नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्र और कल यानी की 29 सितंबर से सम्पूर्ण भारतवर्ष में मौजूद सभी दुर्गा मंदिरों में एक अलग सी रौनक देखने को मिलेगी। चूंकि नवरात्र का यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है और इस दौरान ना माता रानी के भक्त ना सिर्फ अपने अपने घरों में बल्कि मंदिरों में पूरे जोश के साथ पुजा पाठ आदि करते हैं जिसकी वजह से भक्तों की भारी भीड़ हो जाती है।

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की आश्विन प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक नवरात्रि है, इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाएगी। आपको ये भी बता दें की नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है मगर ऐसा करने से पहले आपको ये जान लेना चाहिए की इस पाठ को करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना बहुत ही जृरूई होता है और अगर माता रानी के भक्तों ने इन नियमों का सही सही पालन किया तो निश्चित रूप से माँ दुर्गा उनकी सभी मनोकामनाएं को पूरा करती हैं।

तो चलिये जानते हैं कौन कौन से हैं वो नियम जो दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले जान लेना आवश्यक है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले किन नियमों का पालन करना चाहिए और इस पाठ की विधि क्या है? जिससे हमको अपनी पूजा का पूरा फल प्राप्त हो पाए, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।

1. सर्वप्रथम आपको बता दें की जब आप नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने जा रहे तो उससे पहले आपको पहले भगवान श्री गणेश जी की पूजा कर लेनी चाहिए और फिर उसके बाद आप कलश पूजन, नवग्रह पूजन तथा दीपक जला लेने के बाद दुर्गा सप्तशती की पवित्र पुस्तक को एक साफ और अखंडित लाल कपड़े को बिछाकर उसपर रख देना है।

2. दुर्गा सप्तशती के पाठ को करने से पहले इसका शापोद्धार करना चाहिए क्योंकि दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र, ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र जी द्वारा शापित किया गया है। माना जाता है की जब तक आप शापोद्वार नहीं करते तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से कोई लाभ नहीं मिलता।

3. यहाँ पर आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना होता है की आपको एक ही दिन में पूरा पाठ समाप्त नहीं कर देना है। नियम के अनुसार 1 दिन मध्य चरित्र का और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करना चाहिए।

4. बताते चलें की नवरात्र के दौरान यदि आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं तो पाठ करने से पहले और पाठ करने के बाद में नर्वाण मंत्र ”ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” का पाठ करना बेहद ही आवश्यक होता है। बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हे संस्कृत के श्लोक या मंत्रों उच्चारण करने में परेशानी होती है तो ऐसे में आप हिंदी में भी पाठ कर सकते हैं।

5. यह भी कहा गया है की अगर आप इस पाठ को नियमित रूप से करते हैं तो इसे कर लेने के बाद आपको कन्या पूजन भी अनिवार्य रूप से कर लेना चाहिए।

6. सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है की जब भी कभी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करें उसके बाद हर बार आप माता से क्षमा याचना अवश्य कर लेना चाहिए। तो ये थे नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का आठ करने के पहले के कुछ महत्वपूर्ण नियम जिसे माता रानी के हर भक्त को नियमित रूप से पालन करना चाहिए। ऐसा करने से माता रानी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करती है और आपके जीवन से दुख, कष्ट, नकरतमकता, आदि का नाश होता है। इसका भी विशेष ध्यान रखयेगा की इस पाठ को आपको हमेशा सुबह की पुजा के समय ही करना है, संध्याकालीन में या रात्रिकालिन में यह पाठ नहीं करना चाहिए।

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