हिन्दू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है जिसे कई रीती रिवाज के साथ पूरा किया जाता है जिसे हम सात जन्मो का बंधन कहते है। आप भी कभी किसी हिन्दू धर्म के विवाह में गए होंगे तो आपने देखा होगा कि शादी की शुरूआत से लेकर अंत तक कई प्रकार की रीती रिवाजो एवं रस्मों को अदा किया जाता है। बड़े ही जोश के साथ लोग इन रशमो को निभाते भी है।
इसी तरह से शादी के समय दूल्हे के द्वार पर आने पर द्वारचार की रस्म निभाई जाती है और दुल्हन की विदाई पर दुल्हन द्वारा चावल फेके जाते है और माता पिता के द्वारा इस चावल को एक झोली में इकठ्ठा किया जाता है इसके पीछे की वजह शायद हमे ना पता हो लेकिन ये रस्म बहुत ही जरूरी मानी जाती है और निभाई भी जाती है। इन चावलों को बेटी के घर से विदा होने के बाद पूरे घर में फेंका जाता है। ये रस्म क्यों निभाई जाती है इस बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। आज हम आपको इस रस्म के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
आज हम आपको बतायेगे विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेकने की रस्म क्यों निभाई जाती है और क्या है इसके पीछे की वजह क्या है
शादी के दौरान जब दूल्हे का आगमन लड़की के घर पर होता है तो उस समय द्वार पर आने से पहले द्वार पूजा की जाती है। इस दौरान वधु एवं वधु पक्ष की ओर से लड़के पर चावल फेंके जाते हैं। जो दोनो के प्यार को दर्शाता है।
बेटी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसीलिए जब बेटी अपने घर से विदा होती है तब मां की झोली में चावल डालकर जाती है। जिससे घर का भंड़ार घर की लक्ष्मी के जानें बाद भी भरा रहें। ऐसा आर्शिवाद के साथ वह लड़की घर से विदा होती है।
चावल फेंकने का दूसरा कारण यह दर्शाता है कि इससे नए युगल जोड़े को संतान की प्राप्ति का सुख मिलता है, उनका भाग्य हमेशा उनका साथ देता है। भारत के अलावा अन्य देशों में इस रस्म को करने वाले लोगों का मानना है कि ऐसा करने से जीवन में खुशहाली और सुखसमृद्धि बनी रहती है।
चावल फेकने का एक कारण यह भी होता है की जब बेटी विदा होकर अपने ससुराल जाती है तब वह अपने माता पिता को धन्यवाद देती है जो इतने प्यार से उसे पल पोसकर बड़ा किये और इतना प्यार दिया।
शादी के दौरान जब दूल्हे का आगमन लड़की के घर पर होता है तो उस समय दरवाजे की पूजा की जाती है। इस दौरान वधु पक्ष की ओर से लड़के पर चावल फेंके जाते हैं। इस रस्म काे करने से दोनों युगल जोड़ी के जीवन में खुशहाली और सुख समृद्धि आती है।
आखिर चावल ही क्यों
चावल भारतीय आहार में बेहद प्रमुख माने जाते हैं। इसके गुणों के कारण ही इन्हें शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना गया है, जो बुराई को दूर करते हैं। इसी वजह से यह परंपरा निभाने के लिए एक आदर्श विकल्प है।