नवरात्र के समय में नौ दिनों का व्रत रख हर भक्त माता रानी को प्रसन्न करता है, यह 9 दिन हिंदू धर्म में काफी महत्व रखता है, वहीं आपको बता दें कि इन दिनों व्यक्ति अपनी साधना से सोयी हुई शक्ति को जगाने का प्रयास करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां दुर्गा को आदिशक्ति की देवी कहा गया है इसलिए नवरात्र के 9 दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है। इन 9 दिनों में किए गए साधना का मतलब यह है कि आप इस दौरान अपनी इंद्रियों और मन को नियंत्रित करके अंदर की उर्जा को विकसित करना। इससे रोग, दोष, शारीरिक एवं मानसिक विकार दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। साधना के कुछ नियम हैं जिनमें आहार का प्रमुख स्थान है। नवरात्र के दौरान 9 चीजों का सेवन देवीभागवत पुराण में वर्जित बताया गया है।
मांसाहार ना खाएं
नवरात्र के दिनों में भूल से भी मांसाहार का सेवन न करें, नवरात्र शक्ति की उपासना का पर्व है लेकिन इस दौरान मांसाहार करना वर्जित माना गया है। साधनापूर्ण करने के लिए किसी और जीव को नहीं सताना चाहिए। दुर्गा सप्तशती के मूर्तिका रहस्य में इस विषय में खास दिशा निर्देश दिया गया है। साधक को जीवों पर दया का भाव रखना चाहिए और मन वचन से अहिंसक रहना चाहिए।
मसूर दाल ना खाएं
धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो मसूर दाल को अपवित्र माना गया है इतना ही नहीं इसका संबंध मंगल ग्रह से माना गया है। कहा जाता है कि इसके सेवन से मन में उग्र और तामसिक विचारों का संचार होता है। आयुर्वेद में इसे रजोगुण को बढ़ने वाला बताया गया है जबकि साधना के लिए सत्व गुण को बढ़ाना जरूरी होता है।
गलती से भी न करें बैंगन का सेवन
नवरात्र में बैंगन भी खाने से बचना चाहिए कहा जाता है कि बैंगन भी मसूर की तरह रजोगुण वर्धक माना गया है। कहते हैं यह सात्विक भावों को कम करता है। इससे त्वचा रोग और उग्र विचारों का संचार होता है। बताते चलें कि बैंगन काम भाव को भी बढ़ाने का काम करता है जिस पर साधना के दौरान मन-वचन से नियंत्रण रखना होता है।
लहसून और प्याज का सेवन ना करें
नवरात्र के 9 दिनों में लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इनमें तमोगुण वर्धक माना गया है। लहसुन और प्याज उत्तेजना एवं काम भाव बढ़ाता है। शास्त्रों की मानें तो इसे राक्षसी भोजन कहा गया है। कहते हैं इनकी उत्पत्ति राहु और केतु से हुई है इसलिए इनमें गंध है और पूजा-पाठ में इनका प्रयोग वर्जित है।
मूली से रखें परहेज
शास्त्रों की मानें तो मूली का संबंध राहु से माना गया है। राहु के दोष दूर करने के लिए मूली का दान करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार यह वात वर्धक है। इतना ही नहीं इसके सेवन से रजो और तमोगुण की वृद्धि होती है इसलिए व्रत के दौरान मूली का सेवन नहीं करना चाहिए।
हींग का सेवन ना करें
लहसुन प्याज की तरह हींग को भी अपवित्र श्रेणी में रखा गया है, इतना ही नहीं हींग को भी उत्तेजना वर्धक माना गया है। हींग में तेज गंध होता है जो मन की एकाग्रता को नष्ट करता है। इसकी तासीर गर्म होती है। यही वजह है कि व्रत के दौरान हींग का सेवन उदर संबंधी रोग दे सकता है इसलिए भी हींग को व्रत और पूजन के दौरान नहीं खाने की बात कही गई है।