अक्सर हम यह देखते हैं के हिंदु धर्म में जब भी किसी पूजन का आयोजन किया जाता है| तो ऐसे में पान का पत्ते का भी अपना अलग महत्व होता है| पान का पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग करना काफी शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार पहली बार पान के पत्ते को समुद्र मंथन के दौरान उपयोग में लिया गया था और तभी से पान का प्रयोग शुभ कार्यों में किया जाने लगा।
हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार पान के पत्तों में कई देवी-देवताओं का वास माना गया है| और इसी सन्दर्भ में हम आज आपको कुछ बताने जा रहे हैं| के आखिर आप किस तरह अपनी आर्थिक दिक्कतों से निजात पा सकते हैं घर में सुख शान्ति ला सकते हैं|
पान के पत्ते पर देवी-देवता करते हैं वास
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पान के पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास है। जी हां, इस एक पत्ते में ब्रह्मांड के देवी-देवता वास करते हैं। यह भी एक कारण है कि क्यों हिन्दुओं द्वारा पूजा में पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कि इस पत्ते के विभिन्न कोनों अथवा स्थानों पर देवी-देवता मौजूद हैं।आइये जानते है
1.पान के पत्ते के ऊपरी हिस्से में शुक्र और इंद्र विराजमान रहते हैं।
2. पान के बीच के हिस्से में मां सरस्वती का वास होता है।
3. पान के निचले सिरे पर मां लक्ष्मी विराजती हैं।
4. जहां पान का पत्ता डंडी से जुड़ा होता है, वह स्थान ज्येष्ठा लक्ष्मी का होता है।
5. पान के पत्ते में भगवान विष्णु स्वयं समाहित हैं।
6. पान की बाहरी किनारी पर भगवान शिव और कामदेव निवास करते हैं।
7. पान के पत्ते के पीछे की ओर मां पार्वती और मंगलादेवी का स्थान माना जाता है।
8. पान के पत्ते का दायां हिस्सा भूमिदेवी का निवास माना जाता है।
9. संपूर्ण पान को भगवान सूर्यनारायण का प्रतीक माना जाता है।
बेहद सावधानी से चयन करें सही पान के पत्तों का
केवल एक ही पत्ते में संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का वास होने के कारण इसे पूजा सामग्री में इस्तेमाल किया जाता है। किंतु पूजा सामग्री के लिए पान के पत्ते का चयन करने के लिए व्यक्ति को बेहद सावधान रहना चाहिए।हिन्दू मान्यता के अनुसार छिद्रों से भरपूर, सूखा हुआ एवं मध्य हिस्से से फटा हुआ पान का पत्ता सामग्री के लिए कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पान का पत्ता हमेशा सही सलामत रूप में, चमकदार एवं कहीं से भी सूखा नहीं होना चाहिए। नहीं तो इससे व्यक्ति की पूजा साकार नहीं होती।