आ गया फैसला सब से बड़े मुक़दमे का , विवादित जमीन पर बनेगा राम मंदिर

वर्षों से जिस फैसले का इंतजार पूरे देशभर को था आखिरकार आज आ ही गया, जी हां आज का दिन अयोध्या विवाद मामले के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ है। क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट ने इस अनसुलझे मामले पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है। जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है। मतलब साफ है कि सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है। मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही साथ अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर आज फैसले के दिन को देखते हुए न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के कई हिस्सों में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं। देखा जाए तो सुरक्षा के मद्देनजर पूरी अयोध्या नगरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया। फैसले को लेकर प्रशासन जहां मुस्तैद था तो वहीं लोगों में इस बात को लेकर कौतूहल रहा।

इस मामले में कोर्ट का कहना है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए। कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मिलेगी। फिलहाल अधिकृत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा। फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था। CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं। CJI ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्म स्थल मानते हैं।

इस फैसले के दौरान CJI ने कहा कि सूट -5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है। सूट 5 में सीता रसोई और सिंह द्वार का जिक्र है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है। इसके अलावा यह भी साफ किया कि 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी। मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा। मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे। रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी। साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे।

जानकारी के लिए बताते चलें कि ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 सदस्यीय बेंच ने लगातार 40 दिनों तक सुनवाई की। जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल रहे। पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है। सूत्रों की माने तो इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर CJI रंजन गोगोई की सुरक्षा को Z श्रेणी का कर दिया गया है। अब यह मामला कभी नहीं उठेगा क्योंकि बेहद ही सही तरीके से इसपर फैसला लिया गया है।

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