जानें, क्यों सर्वोत्तम है अगहन माह, इस माह में क्या करें और क्या न करें

हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म का कोई भी तिथि व त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार ही पता चलता है तभी तो इसे हमारी भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। कब किस दिन कौन सा व्रत और त्योहार मनाया जाएगा इस बात की जानकारी हिंदू पंचांग में दिया गया है। हिंदी पंचांग में हर महीने के बारे में विस्तार से बताया गया है। पंचांग में हर महीने का अपना अलग महत्व है। अगर हम बात करें अगहन माह की तो बात और भी विशेष हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मास को भगवान ने खुद की संज्ञा दी है।

जी हां अगर शास्त्रों को आप पढ़ेंगे तो बताया गया है कि इस महीने से ही सतयुग में देवताओं ने साल की पहली तिथि शुरू की थी। अगहन महीने को लेकर कई तरह की कहानियां धार्मिक ग्रथों में मिलती है। अगहन माह को मार्गशीर्ष माह के भी नाम से जाना जाता है। अब ऐसे में सवाल हर किसी के मन में यह सवाल आता है कि आखिर इस महीने का महत्व क्या है और हम कैसे इस माह में देवताओं को और कैसे खुश कर सकते हैं, साथ ही इस माह में क्या नहीं करना चाहिए।

महत्व

सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि इस माह का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि भगवान विष्णु को यह महिना बहुत ज्यादा प्रिय है। भगवान कृष्ण को भी भगवान विष्णु का ही प्रतीक माना जाता है। इसलिए अगर ऐसे में आप इस माह में भगवान विष्णु या कृष्ण की पूजा करते हैं तो आपको अनेकों सुख की प्राप्ति हो सकती है। आपके बिगड़े हुए काम बन सकते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि अगर आपके घर में किसी तरह की कलह का माहौल है या फिर आप किसी भी परेशानी से जूझ रहे हैं तो इस माह शंख की पूजा कर आप उससे छुटकारा पा सकते हैं। इस पूजा किये हुए शंख में जल डालकर आप इसे भगवान विष्णु को अर्पित करें। ऐसा करने से आपका गृह क्लेश समाप्त हो सकता है।

अगहन मास में क्या करें या क्या न करें

अब जानते हैं कि आखिर इस माह में क्या करना चाहिए व क्या नहीं करना चाहिए।

इस माह में भूल से भी जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।

मार्गशीर्ष या अगहन माह में अन्न का दान करना सर्वश्रेष्ठ पुण्य कर्म माना गया है। ऐसा करने पर हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं।

ध्यान रहे कि अगहन माह में नियमपूर्वक रहने से अच्छा स्वास्थ्य तो मिलता ही है, साथ में धार्मिक लाभ भी मिलता है।

इस महीने श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाएं।

इसी माह में कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की। इसी मास में महोत्सवों का आयोजन होना चाहिए। यह अत्यं‍त शुभ होता है।

मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की अवश्य ही पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था। इस दिन माता, बहिन, पुत्री और परिवार की अन्य स्त्रियों को एक-एक जोड़ा वस्त्र प्रदान कर सम्मानित करना चाहिए।

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